शेष लखन
शेष लखन बलराम बन आए ,रोहिणी वासुदेव पुत्र कहलाए ,
भाद्रपद मास के कृष्ण षष्ठी ,
दाऊ बलराम जन्म लिए पाए ।
देवकी भ्रात कंस हुए मामा ,
दुष्टता में जिनके नहीं विरामा ,
नारद तर्क उल्टा सीधा समझ ,
दुश्मन बना है कंस अविरामा ।
रोहिणी सखी बाबा नंद रानी ,
तात वसुदेव जा कहे कहानी ,
बाबा नंद की ये पत्नी यशोदा ,
बलराम रक्षक बने दोऊ प्राणी ।
द्वापर के कृष्ण त्रेता के राम ,
त्रेता लक्ष्मण द्वापर बलराम ,
वसुदेव रोहिणी सुत कहलाए ,
नंद यशोदा का हुआ गुणगान ।
अनुज कृष्ण कान्ह इंतजार में ,
रक्षक तातमात के ही प्यार में ,
अनुज अग्रज हुए अवतरित ,
अधम नीच कंस हम संहार में ।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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