अब धर्म की घुट्टी पिलाना छोड़िए,
झूठ का परचम फहराना छोड़िए।सीखिए सनातन से जग की बात,
श्रेष्ठता का राग अलापना छोड़िए।
धर्म का मतलब बस सनातन है,
विश्व बंधुत्व भाव ही सनातन है।
सर्वे सन्तु निरामया की भावना,
यह सनातन में बस सनातन है।
भू, गगन- वायु, अग्नि नीर, धर्म है,
पंच तत्वों के बिना, जीवन व्यर्थ है।
जिसमें खुले गूढ़ रहस्य ब्रह्मांड के,
मानवता सर्वोपरि, धर्म का अर्थ है।
यीशु कहें इस धरा, मैं भगवान का पुत्र हूँ,
मोहम्मद के मुताबिक पैगम्बर का दूत हूँ।
समर प्रांगण विराट रूप अर्जुन को दिखा,
कृष्ण कहते ‘अहं ब्रह्मास्मि' स्वयं भगवान हूँ।
कब हुए यीशु और कब पैगम्बर हुए,
उससे पहले सृष्टि में कौन-से देव हुए?
क्या हुआ इतिहास में हमको दिखा दो,
सृष्टि के नियन्ता सब सनातन में हुए।
बस यही सनातन की अवधारणा है,
मानव को मानवता हित साधना है।
प्रकृति का संरक्षण सनातन का सार,
सनातन में धर्म की यही धारणा है।
अ कीर्ति वर्द्धन
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