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कारी अंधियारी रात कारागृह में

कारी अंधियारी रात कारागृह में

योगीराज श्री कृष्ण प्रकटोत्सव की आपको सपरिवार कोटि-कोटि हार्दिक शुभकामनाएं। 

कारी अंधियारी रात कारागृह में, जब जन्में श्री कृष्ण मुरारी,
खुल गये कपाट बंद कारागृह के, खुल गई बेड़ियां सारी।

धन्य हो गये वासुदेव देवकी, मिट गई दुविधा सारी,
कंस के पाप का अंत करने को, जन्में सुदर्शन चक्र धारी।

खुले कपाट थे खुली बेड़ियां सब पहरेदार सोये पाये,
श्री कृष्ण को गोद में लेकर, वासुदेव देवकी हर्षाये।

कहे देवकी वासुदेव से, नाथ अब मत तुम देर लगाओ,
मेरे लाल को जल्दी करके, गोकलगढ़ पहुंचाओ।

बिजली तांडव करती पल पल, बरस रही घनघोर घटा,
कान्हा को सिर पर रखकर, वासुदेव नदी की ओर बढ़ा।

शेषनाग उनके संग चलता, करता फन से छत्रछाया, 
 परमेश्वर के चरण को छूने, यमुना का जल चढ़ आया।

बिजली कड़के बादल गरजे, तूफानी रात अंधेरी में,
वासुदेव का जी घबराए, यमुना बीच घनेरी में।

पिता को चिंतित देख प्रभु ने, पैर धरा को लटकाया,
यमुना जी ने की चरण वंदना, उग्र वेग तब घट पाया।

गोकुल आ कर वासुदेव ने, कान्हा यशोमती को सौंप दिया,
बदले में महामाया पाई, उसको अपनी गोद लिया।

देवकी की गोद में उस कन्या को, आ कर उसने लिटा दिया,
लग गई बेड़ियां कन्या के रूदन ने, पहरेदारों को जगा दिया।

कन्या जन्मी है यह संदेशा, उस क्रूर कंस को पहुंचाया,
 कंस ने उसे शिला पर पटका , छूमंतर हो गई महामाया।

आकाश मार्ग से महामाया ने, आकाशवाणी कर बता दिया,
तेरा काल कंस हो चुका है पैदा, इतना उसको जता दिया।

गोकलगढ़ में खुशियां छाई, सबने मिलकर जश्न मनाया,
उद्धार जगत का करने को, परमेश्वर खुद जग में आया।

प्रभु के दर्शन करने को, फिर आने लगे सब नर नारी, 
पाप धरा के हरने को, अवतार लिया सुदर्शन चक्र धारी।
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