समय का चक्र और जीवन का सार
"समय बहाकर कर ले जाता है नाम और निशान ,,, कोई 'हम' में रह जाता है और कोई 'अहम' में।" यह पंक्ति जीवन के एक गहन सत्य को बयां करती है। समय, एक अटल सत्य है, जो निरंतर आगे बढ़ता रहता है। यह न तो रुकता है और न ही पीछे मुड़कर देखता है। समय के साथ सब कुछ बदल जाता है, चाहे वो नाम हो, यश हो या कोई अन्य उपलब्धि।
यह पंक्ति हमें जीवन के मूल्यों के बारे में सोचने पर मजबूर करती है। समय के इस अनंत सागर में, हमारी पहचान क्या होगी? हम किस रूप में याद किए जाएंगे? क्या हम सिर्फ अपने बारे में सोचते रहेंगे या दूसरों के लिए कुछ करेंगे?
हम में रह जाना या अहम में खो जाना...
यह पंक्ति हमें दो रास्ते दिखाती है। एक रास्ता है 'हम' का, जहां हम दूसरों के साथ जुड़े रहते हैं, समाज के लिए कुछ करते हैं और अपनी पहचान सामूहिक हित में लगाते हैं। ऐसे लोग समय के साथ भी याद किए जाते हैं और उनके कार्य हमेशा प्रासंगिक रहते हैं।
दूसरा रास्ता है 'अहम' का, जहां हम सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं, अपनी व्यक्तिगत उपलब्धियों को ही महत्व देते हैं। ऐसे लोग समय के साथ अक्सर भुला दिए जाते हैं क्योंकि उनका योगदान सिर्फ व्यक्तिगत होता है, समाज के लिए नहीं।
कौन सा रास्ता चुनें ?
यह एक व्यक्तिगत चुनाव है। हम सभी के पास यह विकल्प है कि हम किस रास्ते पर चलना चाहते हैं। अगर हम चाहते हैं कि हमारी यादें हमेशा बनी रहें, तो हमें 'हम' की भावना को महत्व देना होगा। हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए, समाज के लिए कुछ करना चाहिए और अपनी प्रतिभाओं को दूसरों के लिए लगाना चाहिए।
समय बीतता जाता है, लेकिन हमारे कर्म हमेशा याद किए जाते हैं। इसलिए, हमें हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए। हमें दूसरों के लिए जीना चाहिए और समाज के लिए कुछ करना चाहिए। तभी हम सच्चा सुख और संतुष्टि पा सकते हैं।
*आइए हम सभी मिलकर एक बेहतर समाज का निर्माण करें।
. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार) पंकज शर्मा
(कमल सनातनी)
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