सावन मनभावन
सावन के आईल बहार बहार ,पिया तोहार बाड़न आईल ।
बरखा के भईल बौछार बौछार ,
पिया तोहार बाड़न आईल ।।
सावन मनभावन साजन के रसिया ।
सावन सुहावन बड़ी रंगरसिया ।।
साजन बिन सावन कभी ना सुहाय ।
साजन बिन सावन जईसे काटे धाए ।।
सुंदर घटा बा तईयार तईयार ,
पिया तोहार बाड़न आईल ।
पानी के होत बा बौछार बौछार ,
पिया तोहार बाड़न आईल ।।
धान रोपनी के खेत तईयार बा ।
आज बरखा के खूबे सुतार बा ।।
भोले बाबा के महिमा अपार बा ।
एहि बरखा के कृषक तलबगार बा ।।
कृषक खुशी इजहार इजहार ,
पियातोहार बाड़न आईल ।
अंखिया कर ल तूहूॅं चार चार ,
पिया तोहार बाड़न आईल ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार ।
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