मैं न सही हूँ,मैं न गलत हूँ।

मैं न सही हूँ,मैं न गलत हूँ।

डॉ. मेधाव्रत शर्मा, डी•लिट•
(पूर्व यू.प्रोफेसर)
मैं न सही हूँ,मैं न गलत हूँ।
अच्छों की नजरों में अच्छा, बदनजरों में बदलत हूँ।
टाट ओढ़कर भस्म रमाए, मैं बेमानी फितरत हूँ ।
मैं न सही हूँ ,मैं न गलत हूँ ।
दोस्त नहीं कोई भी मेरा, खुद मैं अपना साथी हूँ।
आग सुलगती रहे जिगर में, खुद मैं अपनी भाथी हूँ ।
खब्ती खालिक की गफलत हूँ।
मैं न सही हूँ ,मैं न गलत हूँ।
साँप सभी हैं आस्तीन के, सखा सच्चा भूरि विरल है।
मित्र बहिश्चर प्राण मनुज का,संचित पुण्यों का फल है।
निठुर नियति से मैं उन्नत हूँ।
मैं न सही हूँ , मैं न गलत हूँ।
खाली जितना ही भीतर है , उतना बाह्याडम्बर है ।
मानव होकर हृदयहीन जो, दारुभारवाही खर है।
बिना लिफाफे का मैं खत हूँ। मैं न सही हूँ , मैं न गलत हूँ।


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