भारत के जवान
सुनता हूँ जवानो की गाथाआज आँसुओं को भरके।
गोलिया खाते है सीने पर
घायल दिल होता है।
चोट खाकर भी जवान
हँसता मुकरता रहता है।
खाई है जो कसम इन्होंने
देश पर मर मिटने की।।
आंच आने नहीं देंगे
देश की शान पर।
गोलियाँ खायेंगे मर जायेंगे
पर दुश्मनो मार गिरायेंगे।
सीमाओं की रक्षा में ये
लगा देते है प्राणो को।
पर हटते नहीं ये पीछे
अपने देश की सीमाओं से।।
देख इनके बलिदानों को
आँखों से आँसू बहते है।
इतना कुछ करने पर भी
इन्हें वो सब नहीं मिलता।
जो नेता को मरने पर
बिना कुछ किये मिलता है।
और जवान के शहीद होने पर
बस तिरंगा में लिपटा जाता है।।
है कितनी शरम की बात
सोचो जरा दिलसे आज।
नेता कोई टैक्स नहीं देता
और लाखों का वेतन लेता है।
पर देश का सैनिक अपने
वेतन पर टैक्स देता है।
दोनों में अंतर क्या है
समझो भारत के वासियों।।
शान शौकत से बड़े घरों में
बिना किराये के रहते है।
घूमते हवाई जहाजों और
महँगी गाड़ियों में।
इनकी सुरक्षा करने को
जवान को लगना पड़ता।
अब आप ही बतलाए
कौन कर रहा देश की सेवा?
आज स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर मेरी कविता भारत की सेना को समर्पित
मेरी रचना।
जय हिंद जय जवान
जय हिन्द, जय भारत
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना"
मुंबई
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