जग की आंखों का तारा,ललित कलित देश हमारा
धरा अंतर सौंधी सुगंध,अनंत स्नेह प्रेम वंदन ।
अद्भुत मनोरम संस्कृति,
रग रग अपनत्व स्पंदन ।
अतिथि देवो भव मूल मंत्र,
उत्संग अविरल समरसता धारा ।
जग की आंखों का तारा,ललित कलित देश हमारा ।।
अदम्य साहस शौर्य गाथा ,
स्वाभिमान रक्षित इतिहास ।
प्रतिदिन उत्सविक परिवेश,
संघर्ष सह विजित उल्लास ।
सर्व धर्म समभाव सर्वत्र,
नित अंकुरित भाई चारा ।
जग की आंखों का तारा,ललित कलित देश हमारा ।।
विविधता अंतरंग एकता,
जनमानस देशभक्ति सराबोर ।
शिक्षा विज्ञान अग्र कदम,
विकास क्षेत्र सशक्ति भोर ।
नारी जगत खुशियां पर्याय,
घर द्वार प्रगति उजियारा ।
जग की आंखों का तारा,ललित कलित देश हमारा ।।
संबंध शोभा समर्पण भाव ,
मर्यादा संस्कार अनुपालन ।
परा परंपरा अमूल्य विरासत,
अंतःकरण आत्मीयता बिछावन ।
पर्यावरण संरक्षण चेतना अथाह,
वसुधैव कुटुंबकम् वत्सल नारा ।
जग की आंखों का तारा,ललित कलित देश हमारा ।।
कुमार महेन्द्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com