जग की आंखों का तारा,ललित कलित देश हमारा

जग की आंखों का तारा,ललित कलित देश हमारा

धरा अंतर सौंधी सुगंध,
अनंत स्नेह प्रेम वंदन ।
अद्भुत मनोरम संस्कृति,
रग रग अपनत्व स्पंदन ।
अतिथि देवो भव मूल मंत्र,
उत्संग अविरल समरसता धारा ।
जग की आंखों का तारा,ललित कलित देश हमारा ।।

अदम्य साहस शौर्य गाथा ,
स्वाभिमान रक्षित इतिहास ।
प्रतिदिन उत्सविक परिवेश,
संघर्ष सह विजित उल्लास ।
सर्व धर्म समभाव सर्वत्र,
नित अंकुरित भाई चारा ।
जग की आंखों का तारा,ललित कलित देश हमारा ।।

विविधता अंतरंग एकता,
जनमानस देशभक्ति सराबोर ।
शिक्षा विज्ञान अग्र कदम,
विकास क्षेत्र सशक्ति भोर ।
नारी जगत खुशियां पर्याय,
घर द्वार प्रगति उजियारा ।
जग की आंखों का तारा,ललित कलित देश हमारा ।।

संबंध शोभा समर्पण भाव ,
मर्यादा संस्कार अनुपालन ।
परा परंपरा अमूल्य विरासत,
अंतःकरण आत्मीयता बिछावन ।
पर्यावरण संरक्षण चेतना अथाह,
वसुधैव कुटुंबकम् वत्सल नारा ।
जग की आंखों का तारा,ललित कलित देश हमारा ।।

कुमार महेन्द्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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