निःस्वार्थ सेवा: परमार्थ का मार्ग
"मित्रों जो मनुष्य दूसरों की व्याकुलता एवं साधनहीनता को देख कर करुणा से भीग जाते हैं और उनकी सेवा सहायतार्थ तथा सहयोग के लिए आगे बढ़ते हैं वे ही सर्वोच्च सत्ता को प्रिय हैं। नि:स्वार्थ सेवा आध्यात्मिक जगत् में एक बड़ा साधन माना गया है। परमार्थ प्रकृति का मूल स्वर है।"
मानव जीवन का सार है - सेवा। यह सेवा सिर्फ मनुष्यों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड की एक सार्वभौमिक सच्चाई है। उपरोक्त पंक्तियाँ हमें इसी सत्य को उजागर करती हैं। जब हम दूसरों की पीड़ा देखकर करुणा से भर जाते हैं और उनकी मदद के लिए आगे बढ़ते हैं, तो हम न केवल उनकी जिंदगी में उजाला भरते हैं, बल्कि स्वयं भी एक आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होते हैं।
निःस्वार्थ सेवा: आध्यात्मिक विकास का मार्ग
निःस्वार्थ सेवा आध्यात्मिक जगत में एक अत्यंत महत्वपूर्ण साधन माना जाता है। जब हम बिना किसी स्वार्थ के दूसरों की सेवा करते हैं, तो हमारा मन शुद्ध होता है और हम एक उच्चतर चेतना के स्तर पर पहुंच पाते हैं। निःस्वार्थ सेवा हमें अपने अहंकार से ऊपर उठने में मदद करती है और हमें दूसरों के प्रति करुणा और सहानुभूति का भाव पैदा करती है।
परमार्थ: प्रकृति का मूल स्वर
परमार्थ का अर्थ है - दूसरों के कल्याण के लिए कार्य करना। यह प्रकृति का मूल स्वर है। धरती हमें भोजन देती है, सूर्य हमें प्रकाश देता है, और वर्षा हमें जल प्रदान करती है। यह सब निःस्वार्थ सेवा का ही एक रूप है। इसी तरह, हमें भी दूसरों की सेवा करनी चाहिए और समाज के कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए।
पारमार्थिक जीवन जीने का महत्व
पारमार्थिक जीवन जीने का अर्थ है - एक ऐसा जीवन जीना जिसमें हम दूसरों के लिए कुछ कर सकें। यह हमें न केवल आत्मसंतुष्टि देता है, बल्कि हमें समाज में एक सम्मानित स्थान भी दिलाता है। जब हम दूसरों की मदद करते हैं, तो हम उनके जीवन में खुशियां लाते हैं और बदले में हमें भी खुशी मिलती है।
अंत में, हम कह सकते हैं कि सेवा और परमार्थ मानव जीवन का एक अभिन्न अंग हैं। जब हम दूसरों की सेवा करते हैं, तो हम न केवल उनके जीवन में सुधार लाते हैं, बल्कि स्वयं भी एक बेहतर इंसान बन जाते हैं। आइए, हम सभी मिलकर एक ऐसे समाज का निर्माण करें जहां पर सभी लोग एक-दूसरे की मदद करते हैं और जहां पर सेवा और परमार्थ का भाव सर्वोपरि हो।
आइए, हम सभी मिलकर एक बेहतर दुनिया का निर्माण करें।
. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)
पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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