मेरी फरियाद
जय जय भोले शिवशंकर ,
पूरी कर दे तू मेरी मुराद ।
सच्ची सेवा करूॅं साहित्य ,
मिट जाए मन के विषाद ।।
सबको सुंदर मति तू दे दे ,
सबको दे दे तू सद्विचार ।
ऊॅंच नीच प्रथा खत्म हो ,
मानव करे मानव स्वीकार ।।
दुर्विचार सारे मेरे दूर हों ,
जड़ से खत्म सारे विवाद ।
ईर्ष्या द्वेष सारे भूलाकर ,
करता रहूॅं तुझे सदा याद ।।
जितने भी सृष्टि की तूने ,
सबको रखना तू आबाद ।
मेरी भी मनसा पूरी कर दे ,
सुनो बाबा मेरी फरियाद ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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