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अस्त्र-शस्त्र भी जरूरी है

अस्त्र-शस्त्र भी जरूरी है

राम के हाथ में धनुष विराजे कृष्ण के हाथ सूदर्शन चक्र।
शिव के हाथ त्रिशूल विराजे दूर्गा के तो अनेकों शस्त्र।
जिनके हों उपास्य शस्त्रधर उनके उपासक क्यों नि: शस्त्र
शिक्षा लीजिए उनसे और अब पास में रखिए कोई शस्त्र।
अस्त्र-शस्त्र है बहुत जरुरी चाहे कोई भी युग हो।
सतयुग हो त्रेता हो द्वापर चाहे आज का कलियुग हो।
ये मत सोचो खाली पूजा पाठ से सब हो जाएगा।
दुष्टों से लड़कर ही तू अपनी रक्षा कर पाएगा।
ध्यान धारणा ठीक है लेकिन युद्ध कला भी जरूरी है।
धर्मशास्त्र के संग संग कुछ अस्त्र-शस्त्र भी जरूरी है।
राम को लड़ना पड़ा रावण से जबकि वो अवतारी थे।
कृष्ण को लड़ना पड़ा कंश से जबकि लीलाधारी थे।
द्रोणाचार्य भी ब्राह्मण होकर युद्धकला सिखलाते थे।
युद्धक्षेत्र में तीर धनुष ले वे भी लड़ने जाते थे।
सभी कला विद्या सीखिए पर युद्धकला भी सब सीखिए।
ज्यादा कुछ नहीं हो तो घर में लाठी पैना ही रखिए।
पत्थर के कुछ टुकड़े छत पर अपने घर के जमा रखिए।
ये भी अस्त्र का काम करेगा प्रहार दुश्मनों पर करिए।
मरना तो सबको है एक दिन कायर बनकर क्यों मरिए।
मार रहा हो जो हिन्दू को उसको मारकर ही मरिए।
युद्ध कलाएं जो हैं प्रचलित उनकी शिक्षा सब लीजिए।
मां बहनों को भी इन शिक्षाओं में शामिल अब कीजिए।
हर हिन्दू सैनिक हों घर - घर अभियान ये शुरू करिये।
अपने धर्म की रक्षा हेतु जो करना हो सो करिए।
गीता के संदेश को अर्जुन बनकर ही सुनिए गुणिए।
अपने धर्म के लिए हिन्दूजन जहां भी हैं मरिए मिटिए।
नहीं आएगा कोई बचाने उम्मीद किसी से मत रखिए।
होकरके संगठित हमेशा मुकाबला करते रहिए।
हर हर हर महादेव का नारा या कह जय बजरंगबली
जय भवानी कहकर युद्ध में कूद पड़ें सब बाहुबली।-सुशील कुमार मिश्र
स्वरचित रचना

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