."जीवन के निर्णय: क्या हम ही करते हैं?"

जीवन के निर्णय: क्या हम ही करते हैं?

"जीवन के सभी निर्णय हमारे नहीं होते... कुछ निर्णय प्रकृति के और कुछ समय के आधीन भी होते हैं..." यह वाक्य जीवन की एक गहरी सच्चाई को उजागर करता है। हम अक्सर यह मान लेते हैं कि हम ही अपने जीवन के कर्णधार हैं और हर निर्णय हमारे हाथ में है। परंतु क्या यह सच है?

ज़रा गौर करें, हम किस प्रकार प्रकृति के चक्रव्यूह में फंसे हुए हैं। मौसम का बदलना, दिन-रात का चक्र, बीमारियां, प्राकृतिक आपदाएं - ये सब हमारे नियंत्रण से परे हैं। हम चाहकर भी इन्हें नहीं बदल सकते। इसी प्रकार, समय का पहिया लगातार घूमता रहता है। हम चाहें या न चाहें, समय बीतता जाता है। युवावस्था, बुढ़ापा, जीवन और मृत्यु - ये सब समय के नियमों के अनुसार ही होते हैं।

तो क्या इसका मतलब यह है कि हमें अपने जीवन पर कोई नियंत्रण नहीं है? बिल्कुल नहीं। यह वाक्य हमें यह बताता है कि हमें अपनी सीमाओं को समझना चाहिए। हम हर चीज़ पर नियंत्रण नहीं कर सकते, परंतु हम प्रतिक्रियाओं पर नियंत्रण कर सकते हैं। हम किसी परिस्थिति को नहीं बदल सकते, परंतु हम उस परिस्थिति के प्रति अपना दृष्टिकोण बदल सकते हैं।

यह उद्धरण हमें यह भी याद दिलाता है कि जीवन एक यात्रा है, एक गंतव्य नहीं। इस यात्रा में उतार-चढ़ाव आते रहेंगे। हमें इन उतार-चढ़ावों को स्वीकार करना चाहिए और जीवन का आनंद लेना चाहिए।

अंत में, यह उद्धरण हमें यह बताता है कि हम अकेले नहीं हैं। प्रकृति और समय हमारे साथ हैं। हमें बस इनके साथ चलना है और जीवन का आनंद लेना है।

. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार) 
 पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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