जीवन के रंग

जीवन के रंग

जिंदगी ने जिंदगी से
कुछ सवाल किये है।
जिंदगी ने जिंदगी को
उनके जबाव दिये है।
कभी खुशी के लिए
कभी गम के लिए।
फिर भी जिंदगी को
संतुष्ट नही कर पाये।।


जिंदगी को जग में सब
खुशी से जीना चाहता है।
फूलों की चाहत को
दिलमें सजाना चाहता है।
पर खुदको काँटों से
दूर रखना चाहता है।
जबकि काँटों के बिना
फूलों का अस्तत्व कहा।।


जिंदगी खूब सूरत है
जीना नही आता है।
चारों तरफ खुशीयाँ है
उनमें रहना नही आता।
देखते रहते है औरों को
और उनकी कार्यकलापो को।
जिनके कारण ही हमें
जीना नही आ रहा।।


जिंदगी के रंगों को देखो
उनमें खोलकर देखो।
एक अलग रंग बनेगा
जो तेरी पहचान होगा।
रंगों के भावों को समझो
और उन्हें जीवन में भरो।
कौनसा रंग किसके लिए
और क्यों बना है।
क्योंकि रंगों में जीवन का
बहुत आनंद छुपा है।।


जय जिनेंद्र

संजय जैन "बीना" मुंबई


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