पत्नी उवाच
हम तो दिनभर काम करें, तुम दफ़्तर में रहते हो,हम गर्मी में खटते रहते, तुम ए सी में रहते हो।
रोटी कपड़ा साफ़ सफ़ाई, दिनभर काम ही काम,
सुबह शाम घर में तुम तो, नवाबों जैसे रहते हो।
लगता तुमको हम नौकर हैं, दर्द हमारा क्या जानो,
सबसे पहले सुबह को उठते, देर रात को सोते हैं।
सास ससुर की करे तिमारी, बच्चों की चिंता सारी,
तुम घर से बाहर रहते, सब हम पर ग़ुस्सा होते हैं।
बन कर रह गयी नौकर जैसी, बिना मजूरी काम करूँ,
हर पल मशीन सी चलती हूँ, नहीं कभी आराम करूँ।
अपने घर मैं महारानी थी, जाकर पूछो मेरी माँ से,
तुमसे शादी क्यों की मैंने, उस पल का ही ध्यान करूँ।
एक बार ग़ुस्सा होकर, मैके को वह धायी थी,
अगले दिन पैग़ाम मिला, मिलने ही आयी थी।
तुमने खाना खाया है या भूखे ही घूम रहे हो,
रात मुझे नींद न आयी, याद तुम्हारी आयी थी।
तुम्हारे बिन सब सूना लगता, कैसे तुमको बतलायें,
मिलना लड़ना और झगड़ना, मज़ा तुम्हें क्या बतलायें।
तुम तो भोले भंडारी हो, सबकी हाँ में हाँ करते रहते,
दुनियादारी कुछ नहीं जानते, कैसे तुमको बतलायें।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धनll
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com