नारी का गुणगान करो, यह अच्छा है,

नारी का गुणगान करो, यह अच्छा है,

नारी का सम्मान करो, यह अच्छा है।
नारी घर की धुरी, नारी से घर परिवार,
परिवार पर अभिमान करो, यह अच्छा है।


मगर पुरूष का महत्व,नकारो मत,
उसके श्रम को, हँसी में दुत्कारों मत।
वह भी जीता मरता,परिवार हितों पर,
देख रहा स्वप्न, सपनों को मारो मत।


सुबह सवेरे वह भी उठ, काम पर जाता,
रहे सुखी परिवार, अक्सर भूखा रह जाता।
पानी पी- आँसू का अर्चन, कहता पेट भरा,
चला धूप में, पत्नी की साड़ी ले जाता।

डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ