रग-रग व पोर पोर से सच्चे युगद्रष्टा थे श्रीनाथ मिश्र : अवधेश नारायण

रग-रग व पोर पोर से सच्चे युगद्रष्टा थे श्रीनाथ मिश्र : अवधेश नारायण

  • पैतृक गांव कैमूर जिले में उनकी याद में 100 पौधे लगाए।
  • अद्भुत संगठन शिल्पी थे।
  • हजारों स्वयंसेवक को अपने हाथों से किए तैयार

बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने कहा कि श्रीनाथ मिश्र खुद में एक संस्था थे। रग-रग व पोर पोर से सच्चे युगद्रष्टा, जिन्होंने ताउम्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्कार को जिया व हजारों कार्यकर्ता को तैयार किए।
श्री सिंह शुक्रवार को बिहार विधान परिषद में पं. श्रीनाथ मिश्र स्मारक न्यास द्वारा श्री मिश्र के द्वितीय पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। पंडित मिश्र संगठन मंत्री, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ तथा सदस्य, शिक्षा बचाओ आन्दोलन समिति के सदस्य, जेपी सेनानी व पर्यावरण प्रहरी के रूप में समाज में उल्लेखनीय योगदान के लिए जाने जाते हैं। उनकी द्वितीय पुण्यतिथि पंडित श्रीनाथ मिश्र के गांव में 100 पौधे लगाए गए। इस कार्यक्रम में विभिन्न गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया और स्वर्गीय श्रीनाथ मिश्र जी के योगदान को याद किया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन तथा स्वस्तिवाचन के साथ किया गया | अतिथियों का स्वागत अभिजीत कश्यप, कार्यक्रम संयोजक द्वारा तथा विषय प्रवेश गौरव अग्रवाल जी, कार्यक्रम समन्वयक द्वारा किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता अवधेश नारायण सिंह माननीय सभापति, बिहार विधान परिषद् ने की। अपने विचार व्यक्त किए तथा श्रीनाथ मिश्र जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संघ के समर्पित स्वयंसेवक होने के साथ श्रीनाथ मिश्र जेपी आन्दोलन में सक्रिय रहे तथा अनेक बार जेल भी गए।
कार्यक्रम को डॉ. संजीव चौरसिया, विधायक, दीघा विधानसभा, डॉ. संजय पासवान पूर्व केंद्रीय मंत्री, भारत सरकार,  गंगा प्रसाद, माननीय पूर्व राज्यपाल, सिक्किम एवं मेघालय, श्री देवेश चंद्र ठाकुर, सांसद, लोकसभा, पूर्व सभापति, बिहार विधान परिषद्, अश्विनी कुमार चौबे जी, पूर्व केंद्रीय मंत्री, भारत सरकार, डॉ० दिलीप जायसवाल , प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा तथा मंत्री, राजस्व व भूमि सुधार विभाग, बिहार सरकार आदि अतिथि ने भी संबोधित किया। इस मौके पर अतिथियों ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आपातकाल की विभीषिका तथा उस दौरान हुई बर्बरता को याद किया। कार्यक्रम में आपातकाल एवं जयप्रकाश आन्दोलन पर वरिष्ठ जे पी सेनानी गिरिजनांद पाठक ने अपने विचार साझा किए। इस अवसर पर जे पी आन्दोलन की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 12 जे पी सेनानियों को सम्मानित भी किया गया। वक्ताओं ने श्रीनाथ मिश्र को याद करते हुए बताया कि सामाजिक दायित्वों के निर्वहन के साथ साथ वो व्यक्तिगत रिश्तों को भी बेहद संवेदनशीलता के साथ निभाते थे। उन्होंने आजीवन चरैवेति, चरैवेति अर्थात् चलते रहो तथा योगः कर्मसु कौशलम् को अपने जीवन का ध्येय वाक्य बनाये रखा तथा अपने कर्मठता से संपर्क में आने वाले लोगों को प्रेरित करे रहे।
कार्यक्रम का समापन नागेन्द्र पाठक, पूर्व संयुक्त सचिव, वन एवं पर्यावरण विभाग, द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
इस अवसर पर सभी अतिथियों ने श्रीनाथ मिश्र जी के योगदान को याद किया और उनके आदर्शों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
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