कौन कहता झूठ बोलना पाप है
कौन कहता झूठ बोलना पाप है ,कौन कहता झूठ बोलना अधर्म ।
झूठ की पोटली खोलकर देखो ,
स्वयं समझ लेगा तू इसका मर्म ।।
झूठ बोलना कोई यह पाप नहीं ,
झूठ में ही होता लक्ष्मी का वास ।
झूठ बोलना जितना तू सीखेगा ,
उतना ही लक्ष्मी तेरे आसपास ।।
घूमकर देख लो धरा पे कहीं भी ,
झूठ का ही हो रहा माल्यार्पण ।
लक्ष्मी भी तो उनपे हैं इठलाती ,
करके देख लो झूठ लोकार्पण ।।
नहीं अपराध कोई झूठ बोलना ,
समस्त पाप तो लक्ष्मी ही हरतीं ।
झूठ बोलकर ही ख्याति बढ़ेगी ,
अंदर बाहर भी लक्ष्मी ही भरतीं ।।
सजा होगी और जेल भी होगा ,
फिर भी सुख का एहसास होगा ।
जिस दिन सत्य का चयन करेगा ,
उस दिन से जीवन उदास होगा ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार ।
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