आरक्षण पूर्णिमा नहीं,अमावस्या है

आरक्षण पूर्णिमा नहीं,अमावस्या है

जन तरंग पट अकुलाहट,
सर्वत्र जाति धर्म विभेद।
विलापित स्नेह प्रेम भाईचारा,
मंदित मानवता मूल संवेद ।
संकीर्णता जीवन वसित ,
कुंठित कौशल श्रम तपस्या है ।
आरक्षण पूर्णिमा नहीं,अमावस्या है ।।


बाधित नैसर्गिक पथ आभा,
सोच विकास सीमा बंधन ।
अंकुश स्वाभिमानी दिनचर्या,
अल्प लाभ आधिक्य हानि स्पंदन ।
ग्रहण चक्र सम सर्व विकास खुशियां ,
सभ्य राष्ट्र हेतु ज्वलंत समस्या है ।
आरक्षण पूर्णिमा नहीं,अमावस्या है ।।


हर नागरिक स्वदेश धरा,
आदर सम्मान अधिकारी।
संबलन दायित्व शासन तंत्र,
यथोचित अनुग्रह शुभकारी ।
अल्प सहयोग पुरजोर प्रयास,
पर स्थायित्व भंग राष्ट्र व्रतस्या है ।
आरक्षण पूर्णिमा नहीं,अमावस्या है ।।


वर्तमान समय एक्य भाव सह,
गहन समीक्षा चिंतन अहम ।
विकसित राष्ट्र स्वप्न माला बिंदू ,
प्रति व्यक्ति महत्ता प्रगति पैहम ।
प्रतिभा उन्नयन समान अवसर संग
सदा पूर्ण समता समानता मनस्या है
आरक्षण पूर्णिमा नहीं,अमावस्या है ।।


कुमार महेन्द्र(स्वरचित मौलिक रचना)
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