पड़ोसी देश

पड़ोसी देश

---: भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र 'अणु'
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तुम देख रहे हो न
कि कैसे पड़ोसी देश
धूं-धूंकर जल रहा है
और ओ उन्मादी सब
मारे खुशी के उछल रहा है
आज वहां पर
तोडी जा रही है मूर्तियां
लूटे जा रहे हैं घर और मंदिर
बहू,बहन और बेटियां
क्या कुछ खल रहा है
झूठे लोकतंत्र का नारा दे
लोग कर रहे हैं लूटपाट
सब ओर भय व्याप्त है
देखकर अपनों का रक्तपात
वो आदमी आज भी वही है
जो कल रहा है
देख रहा है यह संसार सारा
कि तेरा फरेब है भाईचारा
यदि सच है तेरा ये नारा
तो फिर मानवों को क्यों मारा
जिसे देख सबका खून उबल रहा है
आखिर क्या बिगाड़ा है तेरा
कोई अंत: वस्त्र
जिसे तुम हवा में लहरा रहे हो
होकर इतना त्रस्त
जिसका कि समय ढल रहा है
पर तुम क्या जानोगे
किसी की मान मर्यादा
जबकि ऐसा कुछ किया नहीं है
तेरा बाप दादा
याद रख तेरा खात्मा चल रहा है
जरा पुछकर याद कर लें
ओ सन उन्नीस सौ एकहत्तर
होने जा रहा है तेरा इलाज
और उससे भी कुछ बेहतर
चकनाचूर होगा जो ख्वाब पल रहा है
बस थोड़ी हीं देर में
मांद से शेर निकल रहा है
--------------------------------------------------------------------वलिदाद अरवल(बिहार)८०४४०२.
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