द्वापर सी सौरभ से,कलयुग आज सराबोर
अनंत नमन सर्व आकर्षित उपमा,कर्म ज्ञान भक्ति प्रेरणा पुंज ।
नवनीत सम सांस्कृतिक पटल,
अपरिमित आस्था जन निकुंज ।
भाद्रपद कृष्ण अष्टमी अनूप,
कान्हा जन्मोत्सव तैयारी पुरजोर ।
द्वापर सी सौरभ से,कलयुग आज सराबोर ।।
लड्डू गोपाल रण छोड़ बिट्ठल,
माघव बनमाली दिव्य नाम ।
नटवर नागर राधावर मुकुंद,
गोविंद केशव छवि अविराम ।
नंदलाल वृंदावन बिहारी सह
एक सौ आठ संज्ञा छोर ।
द्वापर सी सौरभ से, कलयुग आज सराबोर ।।
निर्वहन सहज सरस भूमिका,
नायक प्रेमी योद्धा व मित्र ।
योगी सारथी नीति विशारद ,
धूप छांव स्थितप्रज्ञ चित्र ।
सदा प्रशस्त कर्मयोग पथ ,
हर कदम अधर्म कंदन ओर ।
द्वापर सी सौरभ से, कलयुग आज सराबोर ।।
कान्हा जीवन अनुपमा अद्भुत,
वर्तमान समय अति महत्ता ।
तज नैराश्य वैमनस्य क्रोध ,
नित उन्मुख कर्तव्य सत्ता ।
मनुज सामर्थ्य प्रतिभा अथाह,
पर कर्म स्पंदन सफलता भोर ।
द्वापर सी सौरभ से,कलयुग आज सराबोर ।।
कुमार महेन्द्र(स्वरचित मौलिक रचना)
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