कान्हा के कजरारे नैना
आयो रे आयो ,नंदरतन घरआयो ।
कान्हा के कजरारे नैना ,
कृष्ण कन्हैया आयो ।।
जिनके बाल हैं घुंघराले ,
जिनके तन श्याम सम काले ।
जिनके प्यासे थे बलदाऊ ,
होंठ सुंदर औ नैन मतवाले ।।
आयो रे आयो ,
श्याम घनश्याम आयो ।
नंद यशोदा ले गोद में ,
अनमोल रतन है पायो ।।
गोपालकृष्ण का हुआ अवतार ,
नंद यशोदा का हुआ सुतार ।
गोकुल वंश का हुआ उद्धार ,
गोप गोपी का उमड़ा है प्यार ।।
दिखायो ये दिखायो ,
श्याम सलोने रूप दिखायो ।
आयो रे आयो ,
कृष्ण मुरारी आयो ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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