चलते चलते छोड़ न देना,
बीच राह मुंह मोड़ न लेना।रिश्तों की बस दुहाई है,
चारों तरफ सिर्फ तन्हाई है।
जल बीच खड़े दिल प्यासा है,
बस एक बूंद की आशा है।
खुद में हीं सारे उलझे हैं,
उलझी गुथी ना सुलझे है।
जीवन नैया अब डोले है,
नदी में खाती हिचकोले है।
जीवन ना सागर सा अंतहीन,
यह सोच होता मन मलीन।
एक दिन इसको मिट जाना है,
जाना नहीं दिन ठिकाना है।
सुख दुख तो आता जाता है,
सब कोई कर्म फल पाता है।
बस एक भरोसा एक आश,
सत्कर्म है तेरे आस पास।
सिर्फ कर्म तुम्हारे अपने हाथ,
ईश्वर हैं तेरे साथ साथ।
अनजाने दिल कोई भुल करेगा,
बस ईश्वर ही उसे माफ करेगा।
जय प्रकाश कुवंर
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com