एक हो गये हम
सावन निकले जा रहा,दिल भी मचले जा रहा।
कैसे समझाये दिलको,
जो मचले जा रहा।
लगता है अब उसको,
याद आ रही उनकी।
जिसका ये दिल अब,
आदि सा हो चुका है।।
हाल ही में हुई है शादी,
फिर आ गया जो सावन।
जिसके कारण हमको,
होना पड़ा जुदा जो ।
दिल अब बस में नही है,
राह देख रहा है उनकी।
कब आये वो यहां पर,
लेने के लिए हमको।।
कितने जल्दी हो जाता,
प्यार एक अजनबी से।
मानो उनसे करीब अब,
कोई दूजा नहीं है।
पल भर में कैसे बदल,
गया ये दिल हमारा ।
अब जी नही सकती,
उनके बिना एक दिन।
कर क्या दिया उन्होंने,
जो उनमें शमा गये हम।
दो जिस्म होते हुये भी,
हो गये एक जान हम।।
जय जिनेन्द्र
संजय जैन "बीना" मुम्बई
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