एक सवाल पूछ रही- बेटी
निक्की शर्मा 'रश्मि'
माँ बोलो तुमने मुझे क्यों जन्म दिया ?
रोज खौफ में जीती हूँ
हैवानों से डर डर कर रहती हूँ
क्योंकि मैं एक बेटी हूं?
प्यार बलिदान की मूरत हो तुम मां
केवल जन्म देती नहीं पलकों
पर बिठाती हो तुम मुझे माँ
मेरी बातें बिन बोले समझ जाती हो
मेरी भावना,जरूरतों को भी समझ जाती हो
एक सवाल पूछ रही हूँ आज..
बेटी को मर्यादा का पाठ पढ़ाते सब
बेटों को क्यों भूल जाते हैं सब माँ?
बेदर्दी से रौंदकर लूट ली
फिर... आबरू एक बेटी की
देखो इज्जत तार तार कर दी
आज फिर एक बेटी की
कब तक बचती मैं भी माँ,
आज उसने मुझे भी डस लिया
चिल्लाई, रोई,गिड़गिड़ाई मैं भी
नोच रहे थे जब वो मेरी आबरू,
सिसक रही थी तड़प रही थी
तेरे आंचल में आने को माँ
रहम की भीख मांग रही थी
अपनी इज्जत बचाने को माँ
याद बहुत आई.. तेरे प्यार
भरे आंचल की मुझको
काश छिपा लेती तु मुझे, बचा
लेती उन दरिंदों से इज्जत मेरी
बहुत कुछ कहना चाह रही थी
चिल्लाकर आँशु बहा रही थी
जलती बेटियों को बचा लो,
एक फरमान तुम भी सुना दो
एक सवाल का जवाब बता दो
कब तक मरती रहेगी बेटी?
कब तक सिसकती रहेगी बेटी?
कब तक खौफ में जीती रहेगी?
बस आखिरी यही अब इच्छा है मेरी
नहीं चाहिए वो सम्मान जो
एक दिन का मोहताज हो
दें सको तो दे दो वो मान
जो बेटी के सिर का ताज हो
निक्की शर्मा 'रश्मि'
मुम्बई
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रोज खौफ में जीती हूँ
हैवानों से डर डर कर रहती हूँ
क्योंकि मैं एक बेटी हूं?
प्यार बलिदान की मूरत हो तुम मां
केवल जन्म देती नहीं पलकों
पर बिठाती हो तुम मुझे माँ
मेरी बातें बिन बोले समझ जाती हो
मेरी भावना,जरूरतों को भी समझ जाती हो
एक सवाल पूछ रही हूँ आज..
बेटी को मर्यादा का पाठ पढ़ाते सब
बेटों को क्यों भूल जाते हैं सब माँ?
बेदर्दी से रौंदकर लूट ली
फिर... आबरू एक बेटी की
देखो इज्जत तार तार कर दी
आज फिर एक बेटी की
कब तक बचती मैं भी माँ,
आज उसने मुझे भी डस लिया
चिल्लाई, रोई,गिड़गिड़ाई मैं भी
नोच रहे थे जब वो मेरी आबरू,
सिसक रही थी तड़प रही थी
तेरे आंचल में आने को माँ
रहम की भीख मांग रही थी
अपनी इज्जत बचाने को माँ
याद बहुत आई.. तेरे प्यार
भरे आंचल की मुझको
काश छिपा लेती तु मुझे, बचा
लेती उन दरिंदों से इज्जत मेरी
बहुत कुछ कहना चाह रही थी
चिल्लाकर आँशु बहा रही थी
जलती बेटियों को बचा लो,
एक फरमान तुम भी सुना दो
एक सवाल का जवाब बता दो
कब तक मरती रहेगी बेटी?
कब तक सिसकती रहेगी बेटी?
कब तक खौफ में जीती रहेगी?
बस आखिरी यही अब इच्छा है मेरी
नहीं चाहिए वो सम्मान जो
एक दिन का मोहताज हो
दें सको तो दे दो वो मान
जो बेटी के सिर का ताज हो
निक्की शर्मा 'रश्मि'
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