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राष्ट्र रक्षा और धर्म रक्षा को लेकर किया गया 11 कुंडीय यज्ञ संपन्न : हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का लिया गया संकल्प

राष्ट्र रक्षा और धर्म रक्षा को लेकर किया गया 11 कुंडीय यज्ञ संपन्न : हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का लिया गया संकल्प

गाजियाबाद ( विशेष संवाददाता) यहां पर स्थित वृंदावन ग्रीन सोसाइटी राजेंद्र नगर साहिबाबाद में समिति की नई प्रशासक समिति के सौजन्य से 11 कुंडीय यज्ञ का आयोजन किया गया। जिसके ब्रह्मा पतंजलि योगपीठ हरिद्वार के यज्ञ प्रमुख स्वामी यज्ञ देव जी महाराज रहे। स्वामी जी महाराज के द्वारा यज्ञ पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा गया कि यज्ञ की पवित्र भावना अंगीकार करने से हम सबके भीतर एकता और समरसता का भाव संचरित होता है। जिन परिवारों में यज्ञ की परंपरा बनी रहती है, उनमें सुख शांति अपने आप आ जाती है।
इस अवसर पर सामूहिक रूप से सभी आर्यजनों ने हिंदी को राष्ट्रभाषा का सम्मान दिलाने का संकल्प लिया। केंद्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अनिल आर्य ने विशिष्ट वक्ता के रूप में बोलते हुए कहा कि हमारे सामने आज भी अनेक प्रकार की समस्याएं चुनौतियों के रूप में खड़ी हैं। जिनके समाधान के लिए आर्य समाज को ही आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि आर्य का अभिप्राय श्रेष्ठ समाज से है, इसलिए संसार की सभी श्रेष्ठ जनों को संसार की गति को सुधारने के लिए एक साथ आना ही होगा।
भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता और आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर के अध्यक्ष डॉ राकेश कुमार आर्य ने बोलते हुए कहा कि 1671 ईस्वी में भारत में गोकुल देव जाट, छत्रसाल बुंदेला, छत्रपति शिवाजी, गुरु गोविंद सिंह और बंदा वीर बैरागी जैसे महापुरुषों के नेतृत्व में महान क्रांति हुई थी । जिसके चलते 28 मार्च 1737 को देश को मुगलों से आजाद कर लिया गया था । परंतु हमारे आलस और प्रमाण के कारण हम अपनी प्राप्त की गई आजादी को फिर खो बैठे। यदि हमने आज भी आलस्य और प्रमाद किया तो मिली हुई आज़ादी फिर गुम हो सकती है। उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज ने अपने रामचंद्र नामक अपने मंत्री के द्वारा अरबी फारसी के 1380 ऐसे शब्दों का संस्कृत में अनुवाद करवाया था, जिन्हें उस समय प्रशासनिक व्यवस्था में मान्यता दे दी गई थी। इसी परंपरा को आगे चलकर सावरकर ने अपनाया । जिसे और भी अधिक ऊंचाई आर्य समाज ने प्रदान की । आज हिंदी को राष्ट्रभाषा का सम्मान मिलना चाहिए। इससे पूर्व राजार्य सभा के प्रधान महेंद्र सिंह आर्य ने कहा कि राजनीतिक स्तर पर वह हिंदी को उसका गौरव दिलाने का हर संभव प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि इस समय सनातन शिक्षा बोर्ड बनाने की आवश्यकता है।
आर्य जगत के सुप्रसिद्ध विद्वान और भजनोपदेशक शुद्धि आंदोलन के महानायक के रूप में स्थापित श्री कुलदीप विद्यार्थी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि देश में आज भी कई क्षेत्रों में लोग वैदिक धर्मी हिंदुओं का मत्तांतरण करने पर कार्य कर रहे हैं। जिनका भंडाफोड़ करना आर्य समाज के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि हम हिंदी को अपना कर देश में राष्ट्रवाद की भावना को बलवती कर सकते हैं। जिससे कई प्रकार की समस्याओं से मुक्ति प्राप्त हो सकती है।
इस अवसर पर आर्य समाज गौतम बुद्ध नगर के भीष्म पितामह कहे जाने वाले सरपंच रामेश्वर सिंह , देव मुनि जी महाराज आदि सहित अनेक विद्वानों ने भी अपने विचार व्यक्त किये। आर्य सागर खारी, श्री एसपी सिंह ,पतंजलि योगपीठ एनसीआर प्रमुख, ब्रह्मचारिणी छवि आर्या के साथ-साथ श्री वेद प्रकाश आर्य, राकेश कुमार आर्य ,श्री नीरज कुमार , दिनेश शर्मा ,सुमन मिश्रा पंकज सक्सेना ,शोभित मिश्रा ,अशोक शर्मा , रईस राम भाटी, वीरेंद्र चंदीला आदि की विशेष उपस्थिति रही। कार्यक्रम का सफल संचालन श्री निरंजन कुमार आर्य द्वारा किया गया। उपस्थित जन गण का धन्यवाद आर्य प्रतिनिधि सभा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के सचिव रहे श्री ज्ञानेंद्र आर्य द्वारा किया गया। याद रहे कि यह कार्यक्रम श्री देवेंद्र सिंह आर्य को समिति के लोगों द्वारा अपनी प्रशासक समिति का निरंतर चौथी बार अध्यक्ष चुने जाने पर आयोजित किया गया था। समिति के सभी लोगों ने कार्यक्रम में पर चढ़कर भाग दिया और आर्य समाज के आंदोलन के साथ जुड़कर राष्ट्र को नई गति देने में भी अपनी रुचि दिखाई। श्री आर्य ने अपनी नियुक्ति पर बोलते हुए कहा कि उन्हें जिस सद्भाव और सम्मान के साथ यह पद दिया गया है, उसकी गरिमा के अनुसार वह और भी अधिक निष्ठा से कार्य करने का प्रयास करेंगे।
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