जिउतिया या जितिया
मार्कण्डेय शारदेय
इधर एक सप्ताह से मोतियाबिन्द का आपरेशन कराकर विश्राम में हूँ।परन्तु; लोग फोन कर-कर पूछ रहे हैं कि जितिया या जिउतिया कब है? मैं इसी के लिए बना हूँ तो बताना ही पड़ेगा न! मेरा सहज मार्ग फेसबुक है तो इसी के माध्यम से किसी तरह बताना ही पड़ेगा न!
तो; मेरे विचार से इस बार जीवत्पुत्रिका व्रत (जितिया) 25 सितम्बर (शुक्रवार) को है।
‘मेरा विचार’ इसलिए कि इस बार यह व्रत दो दिन है।चान्द्र मत से 24 सितम्बर (मंगलवार) को तो सौर मत से 25 सितम्बर (बुधवार) को।
वस्तुतः मंगलवार को शाम छह बजे के पूर्व ही अष्टमी तिथि का प्रवेश है, जो बुधवार को लगभग छह बजे शाम तक रहेगी।जो लोग चन्द्रोदय के समय अष्टमी को आवश्यक मानते हैं, वे मंगलवार को ही निर्जल व्रत करेंगे और बुधवार को अष्टमी बीतने पर सन्ध्या छह बजे पारण करेंगे।वहीं जो लोग सूर्योदय-व्यापिनी अष्टमी को मानते हैं, वे बुधवार को सूर्योदय से गुरुवार (26 सितम्बर) को सूर्योदय तक व्रत करेंगे, इसके बाद पारण करेंगे।इस तरह चान्द्र मत से लगभग छत्तीस घंटे का व्रतकाल होगा तो सौर मत से चौबीस घंटे का।यह विभेद क्यों? तो; इसलिए कि जीवत्पुत्रिका-व्रतकथा दो तरह की है।एक के अनुसार चन्द्रोदय में अष्टमी ग्राह्य है तो दूसरे के अनुसार सूर्योदय में अष्टमी ग्राह्य।व्रतों की व्याप्ति देश-काल व आचार्यमत से रही है।इसलिए क्षेत्रविशेष के लोग क्षेत्रीयता का आचरण करते हैं।
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