Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

अपने भीतर भी झाँकिए साहब।

अपने भीतर भी झाँकिए साहब।

डॉ रामकृष्ण मिश्र
अपने भीतर भी झाँकिए साहब।
दूसरों को भी आँकिए‌ साहब ।।
कुछ की ऊँची इमारते गातीं ।
उनकी छाया भी मापिए साहब।।
खो गयी क्या पता कहाँ निष्ठा।
गलतियों को सुधारिए साहब ।।
क्यों मनुजता यहाँ बाजार हुई।
रेउटी अब उखाडिए साहब।।
बह रही जो हवा नशीली है।
उसकी हद को सँभालिए साहब।।
आदमी जानवर नहीं होता।
कुछ तो अंतर विचारिए साहब।। ***********
रामकृष्ण
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ