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यह पुनीत पर्व संदेश साक्ष्य,

यह पुनीत पर्व संदेश साक्ष्य,

श्रद्धा का शाश्वत संगम है ।

जो सहज समर्पित है गुरुवर,

कृतज्ञ आज मेरा मन है।

जो ज्ञान सत्य जीवन प्रकाश

करता पथ को आलोकित है,

वह सत्य सनातन और नही,

गुरु तरुवर वा पावन युश है।

पाया जो ज्ञान निकट रहकर,

अभीभूत आज मेरा मन है।

ऐसी वस्तु कोई और नही

जैसी दुर्लभ विद्या धन है।

शब्दों की सीमा क्या होगी,

जहां जीवन यह नतमस्तक है,

सांसों की चलती कदमताल,

श्री चरणों का पावन फल है।

नवीन कुमार (हिंदी शिक्षक), 
प्रभारी, +2 उच्च विद्यालय ओकरी
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