मन को न उदास करो
आस करो विश्वास करो ,कर्मों का एहसास करो ।
कर लो संघर्ष जीवन में ,
मन को न उदास करो ।।
आना जाना लगा रहेगा ,
जन मन में वास करो ।
क्यूॅं आए हो जीवन में ,
इसी को एहसास करो ।।
आए हो धरा शरण में ,
न गमन आकाश करो ।
डूबे रहो कर्म में अपने ,
ईश से अरदास करो ।।
जीवन तेरा होगा उदास ,
मन का न उपहास करो ।
स्वत: हो जाओगे खिन्न ,
स्वजीवन न ह्रास करो ।।
याद करो उद्देश्य अपने ,
शिष्टता ये प्रयास करो ।
हॅंस खेल बीता जीवन ,
मन को न उदास करो ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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