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मुंबई वालों की भावना

मुंबई वालों की भावना

समयसागर जी की राह निहार के।
मुंबई वाले कब से खड़े है इंतजार में।
सब की अँखियों के नूर, सब के दिलो के सुरूर।
चाहे रहो कितनी दूर,लाना है मुंबई में ज़रूर।।
समयसागर जी की राह निहार के।
मुंबई वाले कब से खड़े है इंतजार में।

ज्ञान बरसे, दुनिया जाने।
मुंबई तरसे कोई न जाने।
दिल में लगी है मुंबई लाने।
इसलिए मुंबई वाले,आये है श्रीफल चढ़ाने।
चाहे रहो कितनी दूर,लाना है मुंबई में ज़रूर।।
समयसागर जी की राह निहार के।
मुंबई वाले कब से खड़े है इंतजार में।।

जिस दिन मुंबई को मिलेगा मौका।
ज्ञान की गंगा बहेगी यहाँ पर।
देखेगी सारी दुनिया ये चौमासा।
बस गुरुवार की हाँ का इंतजार है।
हम लोग खड़े है तेरे द्वार पर।।
समयसागर जी की राह निहार के।
मुंबई वाले कब से खड़े है इंतजार में।

सभी साधर्मप्रेमी बंधुओ को, संजय जैन, मुंबई का सदर जय जिनेन्द्र देव,
आज महापर्व पर्यूषण का आठवा दिन उत्तम त्याग धर्म के उपलक्षय में उपरोक्त भजन मैंने गुरू भक्त मुंबई, कल्याण एवंम समस्त दिगम्बर जैन समाज मुंबई वालों की भावनाओं को महसूस करते हुए लिखा है।मैं आचार्य श्री समय सागर जी के चरणों में समर्पित करता हूँ।


जय जय गुरुदेव, जय जिनेंद्रसंजय जैन "बीना" मुंबई
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