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श्रद्धांजलि

श्रद्धांजलि

निज देश के लिए जो, सर पर कफन लपेटे।
धरती तले गड़े हैं , अरमान सौ समेटे।
कोई उन्हें जगा दे, कब्र में उनकी जाकर।
कोई उन्हें सुना दे, मेरा प्रणाम जाकर ।

जिसने स्वदेश पथ पर, रूकना कभी ना सीखा।
जिसने स्वदेश सुख का, सौन्दर्य स्वप्न देखा।
जिनके गरम लहू में, तूफाँ रहा समाकर।
कोई उन्हें सुना दे, मेरा प्रणाम जाकर।

उनकी समाधियों पर ,दो दीप भी नहीं है।
उनका नहीं ठिकाना ,उनका पता नहीं है।
जो हो गए तिरोही ,बलिदान गीत गाकर। 
कोई उन्हें सुना दे, मेरा प्रणाम जाकर ।
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