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जब सुनता हूँ तुमसे अब,

जब सुनता हूँ तुमसे अब,

शरीर नहीं कुछ कर पाता है।
दिल में उठा सारा तूफान,
अपने आप ठहर जाता है।।
मन का तन से अद्भुत कैसा,
जन्म जन्म का नाता है।
मुरझाता है तन लेकिन यह,
मन कभी नहीं मुरझाता है।।
जीवन में बस काम काम है,
मरने तक आराम नहीं।
सब को केवल काम की जरूरत है,
दिल का दर्द जानने का नाम नहीं।।
तुम किसी के लिए कुछ भी हो,
मेरे लिए मेरी जिंदगी हो।
तुम्हारा हंसता मुख शकुन देता है मुझे,
तुम मेरे जिन्दा रहने का कारण हो।।
मेरे दिल पर भी बंदिशे बहुत थीं,
लेकिन तुम से मुहब्बत हो ही गयी।
इसमें दिल का दोष नहीं था,
नजरों को जो तुम भा गईं।।
सुख में अनेक मिलते हैं,
दुख की घड़ी में कौन किसका सुना।
चेहरे की हंसी सब देखते हैं,
दिल पर लगी चोट किसने गुना।।
जिन्दगी अब कम ही बची है,
ख्वाहिश है इसे हंस कर जी लो।
यह तन फिर नहीं मिलेगा,
मुरझाओ मत, इसे मन से जी लो।। 
 जय प्रकाश कुवंर
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