"लो बैक पेन"क्या हैं? इसके प्रमुख कारण क्या हैं?
आधुनिकता के दौर में मानव के रहन-सहन में आये बदलाव के कारण कई बीमारियों का जन्म हुआ जिसमें मधुमेह, रक्तचाप ,हृदय रोग, आदि रोग सामान्य हो गए हैं। ठीक. इसी प्रकार "लो बैक पेन" यानी कमर दर्द भी आज आम बीमारियों की श्रेणी में आ गया है। अधिकांश लोग आज कमर दर्द से ग्रसित हैं। "लो बैक पेन" के कारण, लक्षण एवं इसके निदान की जानकारी के लिए बिहार कॉलेज ऑफ फिजियोथेरेपी एंड आक्यूपेशनल थेरेपी के फिजियोथेरेपिस्ट डॉ पूर्णिमा कुमारी से मुलाकात कर कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त की। उसी मुलाकात के कुछअंश यहां प्रस्तुत है:-
"लो बैक पेन"क्या हैं? इसके प्रमुख कारण क्या हैं?
रीढ़ के निचले हिस्से में दर्द की अनुभूति होना एक सर्व सामान्य विकार है। आमतौर पर हम वाहन चलाते वक्त, कार्यालय में कुर्सी से उठते-बैठते वक्त, लैपटॉप एवं कम्प्यूटर चलाते वक्त, दिन भर काम करते वक्त अपने सही मुद्रा (पॉस्चर, Posture) का ध्यान नहीं रखते हैं जिससे मांसपेशियों, तंत्रिका तंत्र एवं अस्थियों की संरचनाओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके कारण दर्द उत्पन्न होता है और हमारी कार्यशैली प्रभावित होती है। दर्द के कारण चलना, सोना, काम करना या रोजमर्रा की गतिविधियाँ करना मुश्किल हो जाता है।
ज्यादा देर एवं अधिक दिनों से वाहन चलाने वाले लोगों में Lumber Spondylosis, Early Disc Degeneration होने का खतरा बढ़ जाता है। वाहन चलाने वाले एवं सेल्स मार्केटिंग वाले लोग जो दिनभर वाहन चलाते हैं उनमें कमर दर्द की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। वाहन में लगातार हो रहे कंपन (vibration) एवं कमर के निचले हिस्सा और पैरों की मांसपेशियों के लगातार उपयोग होने से जोड़ों में अकड़न और मांसपेशियों में तनाव की समस्या होने लगती है। नितंब (Bullock) की मांसपेशियों में तनाव बढ़ने से साईटिका होने की संभावना बढ़ जाती है।
इन सब के अलावा कुछ विशिष्ट कारण हैं जिसके कारण पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है। गलत तरीके से भारी वस्तु उठाने से मांसपेशियों या लिगामेंट में खिंचाव होता है जिसके कारण दर्द उत्पन्न हो जाता है। दुर्घटना के कारण रीढ़ की हड्डी में आए फ्रैक्चर के कारण भी दर्द उत्पन्न होता है। ऑस्टियोआर्थराइटिस भी पीठ के निचले हिस्से में दर्द का कारण बनता है। एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस भी गठिया का एक प्रकार है। इनके कारण भी पीठ के निचले हिस्से में दर्द ,सूजन और अकड़न की समस्या उत्पन्न होती है। रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर, संक्रमण और कई प्रकार के कैंसर भी पीठ दर्द का कारण बन सकते हैं। गुर्दे की पथरी भी दर्द का कारण बन सकती है। कुछ अस्थायी कारणों में मासिक धर्म एवं गर्भावस्था की स्थिति में भी कमर दर्द की समस्या होती है।
"लो बैक पेन" के लक्षण क्या हैं?
वाहन चलाते समय मुख्यतः जांघ की मांसपेशियों में जकड़न, तलवे में जलन ,कमर में झिनझिनी होना, कंधों में तेज दर्द होना, आँखों में जलन एवं दर्द महसूस होना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं।
पीठ के निचले हिस्से में दर्द के अन्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:.
1) अकड़न - अकड़न के कारण पीठ को हिलाना या सीधा करना मुश्किल हो जाता है। बैठ कर उठने में दर्द महसूस होता है।
2) मुद्रा (Posture) संबंधी समस्याएँ - पीठ दर्द से पीड़ित कई लोगों को सीधा खड़ा होने में तकलीफ होती है। गलत मुद्रा (Posture ) में लगातार बैठने या काम करने से रीढ़ की हड्डी में विकृति आ जाती है जिसके कारण सीधा खड़ा होने में असहनीय दर्द होता है।
3) मांसपेशियों में ऐंठन - खिंचाव के कारण पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियों में ऐंठन हो जाता है या अनियंत्रित रूप से सिकुड़ जाता है। मांसपेशियों में ऐंठन के कारण अत्यधिक दर्द होने लगता है। खड़े होना, चलना या हिलना-डुलना मुश्किल या असंभव हो जाता है।
"लो बैक पेन" के कारणों का पता किन परीक्षणों के द्वारा किया जा सकता है?
पीठ के निचले हिस्से के दर्द के सही कारणों का पता लगाने के लिए कुछ परीक्षणों (जाँचों) का सहारा लिया जाता है ताकि सही कारण पता लगने से सही इलाज किया जा सके। इन परीक्षणों में रीढ़ की हड्डी का एक्स-रे, एमआरआई, सीटी स्कैन, ईएमजी (इलेक्ट्रोमायोग्राफी ) रक्त एवं मूत्र परीक्षण आदि प्रमुख हैं।
"लो बैक पेन" से छुटकारा किस प्रकार पाया जा सकता है?
वाहन चलाते वक्त कुछ देर का विराम लेना, पैर की मांसपेशियों की स्ट्रेचिंग व्यायाम करना, कमर एवं कमर के ऊपरी हिस्से का स्ट्रेचिंग व्यायाम करना, शरीर को हाइड्रेडेड (6 से 8 लीटर पानी प्रतिदिन पीना ) रखना और मांसपेशियों में तनाव कम करने के लिए नारियल पानी का प्रयोग करना आदि बहुत हद तक इस समस्या को टालने में मददगार साबित हो सकता है।
पीठ के निचले हिस्से में दर्द से छुटकारा पाने के लिए चिकित्सक "नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स" लेने की सलाह दे सकते हैं। पीठ की ऐंठन से राहत दिलाने के लिए कुछ स्थितियों में मांसपेशियों को आराम देने वाली दवाएँ लेने की भी सलाह दे सकते हैं। फिजिकल थेरेपी आपकी मांसपेशियों को मजबूत कर सकती है ताकि वे आपकी रीढ़ को बेहतर तरीके से सहारा दे सके। कुछ चिकित्सक दर्द से छुटकारा दिलाने के लिए "लम्बर एपिड्यूरल स्टेरॉयड इंजेक्शन" की सलाह भी देते हैं। कुछ गंभीर स्थितियों में शल्य क्रिया (सर्जरी) की भी जरूरत पड़ती है।
"लो बैक पेन" की समस्या से छुटकारा दिलाने में फिजियोथेरेपिस्ट की क्या भूमिका है?
" लो बैक पेन " की समस्या से छुटकारा दिलाने में
फिजियोथेरेपी चिकित्सक ही अहम भूमिका होती है। फिजियोथेरेपी के विभिन्न मशीनों द्वारा थेरेपी दी जाती है। रोगियों को फिजिकल थेरेपी, इलेक्ट्रोथेरेपी सहित अन्य थेरेपी के माध्यम से पीठ के निचले हिस्से के दर्द से छुटकारा दिलाया जा सकता है। ऐसे रोगियों को विशेष प्रकार के एक्सरसाइज (व्यायाम) बताए जाते हैं। जिससे उन्हें दर्द में राहत मिलती है। फिजियोथेरेपी के माध्यम से बिना दवा (दर्द निवारक को छोड़कर) के ही व्यायाम के द्वारा दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है।
वाहन चलाते वक्त कमर के पास कुशन का प्रयोग करके कमर के कर्व (Curve) को मेंटेन रखा जा सकता है। सीट पर मुलायम कुशन रखकर लंबे समय तक बैठा जा सकता है। मानसिक तनाव को कम करने के लिए मीठी धुन न का संगीत सुना जा सकता है। नियमित ध्यान एवं प्रणायाम से शारीरिक एवं मानसिक तनाव को दूर रखा जा सकता है। सही मुद्रा (Postre) में बैठ कर काम करने से भी कमर दर्द से बचा जा सकता है।
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