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बीते पल

बीते पल

कैलेंडर के पन्ने पलटते हैं,
तारीखें लौटकर आती हैं।
मगर वो पल, वो क्षण, वो दिन,
जो बीत गए, वो लौटते नहीं।

कल की बातें आज याद आती हैं,
ख्वाबों के सागर में डूब जाती हैं।
मन करता है, फिर से जी लें वो पल,
मगर वक्त का पहिया चलता रहता है।

दिल में छुपा लेते हैं वो यादें,
आंखों में आंसू बहाते हैं।
क्योंकि जानते हैं, वो पल अब नहीं आने वाले,
बस दिल में धड़कते रहेंगे।

ऐसा लगता है, जैसे कल ही था,
जब हम खिलौनों से खेलते थे।
अब हम बड़े हो गए हैं,
और वो पल सिर्फ यादों में रह गए हैं।

ज़िंदगी का यही सच है,
समय का पहिया चलता रहता है।
बीते हुए पलों को याद करके,
आज बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं।

. स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित
"कमल की कलम से" 
 (शब्दों की अस्मिता का अनुष्ठान)
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