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प्रमाण-पत्र से नहीं योग्यता से मिलती है जीवन में सफलता : कुलपति

प्रमाण-पत्र से नहीं योग्यता से मिलती है जीवन में सफलता : कुलपति

  • आई आई एच ई आर में बैचलर ऑफ औडियोलौजी ऐंड स्पीच पैथोलौजी के छात्र-छात्राओं को दी गयी विदाई,पाठ्यक्रम पूरा करने का मिला प्रमाण-पत्र ।
पटना, ३ सितम्बर। आज का दिन आप सबके लिए अविस्मरणीय रहेगा। हम सब इस बात के गवाह भी हैं कि आप सबने निष्ठापूर्वक अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है। अब आप अपने कौशल का सदुपयोग समाज की सेवा और उपार्जन के लिए करेंगे। पर एक बात हमेशा ध्यान में रखें कि केवल प्रमाण-पत्र नहीं, योग्यता से मिलती है जीवन में सफलता । विनम्रता उसकी सीढ़ी है।
यह बातें मंगलवार को, बेउर स्थित इंडियन इंस्टिच्युट ऑफ हेल्थ एडुकेशन ऐंड रिसर्च में बैचलर ऑफ औडियोलौजी ऐंड स्पीच पैथोलौजी के छात्र-छात्राओं की विदायी के अवसर पर आयोजित 'पाठ्यक्रम पूर्णाहुति समारोह' का उद्घाटन करते हुए, बिहार स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डा एस एन सिन्हा ने कही। उन्होंने कहा कि जीवन में सफलता के लिए विनम्रता बहुत आवश्यक है। ऊँचा उठाने के लिए व्यक्ति को झुकना सीखना चाहिए।
समारोह के मुख्य अतिथि और पटना उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि कौशल की उपाधि प्राप्त करते ही व्यक्ति का जीवन बदल जाता है। हर व्यक्ति को अपने गुणों से समाज को लाभान्वित करना चाहिए। जो व्यक्ति अपने पद,अधिकार और कौशल का दुरुपयोग धन अर्जित करने के लिए करता है, वह नीचे गिर जाता है और स्वयं का ही नहीं, अपने परिवार की भी क्षति करता है।
विशिष्ट अतिथि और अली यावर जंग राष्ट्रीय वाक् एवं श्रवण संस्थान, कोलकाता के पूर्व निदेशक डा अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि दिव्यांगता अधिनियम में यह अनिवार्य किया गया है कि बहरेपन का विकलांगता-प्रमाण-पत्र के लिए किसी औडियोलौजिस्ट का हस्ताक्षर अवश्य हो। एक सक्षम औडियोलौजिस्ट के प्रमाण-पत्र पर ही बहरेपन का विकलांगता प्रमाण-पत्र दिया जा सकता है। एक औडियोलौजिस्ट ऐंड स्पीच पैथोलौजिस्ट का यह कर्तव्य है कि वह वाक् एवं श्रवण दोष से पीड़ित व्यक्तियों को इससे मुक्ति दिलाए। आधुनिक प्रशिक्षण और तकनीक इसमें सहायक सिद्ध हो रही है। उन्होंने आग्रह किया कि इस संस्थान में इस विषय में परा-स्नातक पाठक्रम आरंभ किया जाना चाहिए।
सभा की अध्यक्षता करते हुए, संस्थान में निदेशक-प्रमुख डा अनिल सुलभ ने कहा कि इस समय उनके भीतर वही अनुभूति हो रही है, जो अनुभूति एक पिता को अपनी पुत्री की विदाई के समय होती है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यहाँ से प्रशिक्षण लेकर जा रहे औडियोलौजिस्ट और स्पीच पैथोलौजिस्ट अपनी मूल्यवान सेवाओं से इस संस्थान का नाम पूरी दुनिया में रौशन करेंगे। संस्थान के प्रबंध निदेशक आकाश कुमार, पंजीयक आभास, वाक् एवं श्रवण विभाग के प्रभारी अध्यक्ष डा विकास कुमार सिंह, डा नेहा कुमारी, संकायाध्यक्ष, छात्र-कल्याण अहसास मणिकान्त तथा वरिष्ठ छात्राएँ महिमा झा और निकिता कुमारी ने भी अपने अनुभव साझा किए।
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