बेकरार नज़रें, बेपनाह इश्क
हर पल गुज़रता है, जैसे सपनों का कारवाँ,मन में बस उनकी यादें, और उनकी ही बातें।
दिल धड़कता है बेकाबू, जैसे कोई तूफान,
नज़रें ढूंढती उन्हें, हर कोने में हर दीवार पर।
उनके आने का इंतज़ार, जैसे कोई त्योहार,
हर पल लगता है, जैसे मिलने को है तैयार।
बेताब है ये दिल, बेचैन है ये मन,
उनके प्यार में खोया हुआ, ये मेरा जीवन।
कभी लगता है, जैसे मिल गए हैं वो,
तो कभी लगता है, जैसे दूर चले गए वो।
ये इंतज़ार का सफर, बहुत ही खूबसूरत है,
हर पल एक नया रंग, हर पल एक नया नज़ारा।
शायद इसीलिए कहते हैं, इश्क है अद्भुत,
ये इंतज़ार का आलम, है बेहद खूबसूरत।
बेकरार नज़रें बेपनाह इश्क बेहिसाब धड़कनें,
बहुत खूबसूरत है उनके इंतज़ार का आलम!
. स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित
"कमल की कलम से"
(शब्दों की अस्मिता का अनुष्ठान)
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