बीतल जवानी अब बुढ़ापा से भेंट भइल।
लाल लुगा फाट गइल, चमकल मेंट गइल।।दीन दशा देख के अब आंख भर आवता।
केहू के कवनों बात अब तनको ना सुहावता।।
रहे जब जवानी त सब लोग भरे पानी।
फुसुर फुसुर क के कहे सब तोहरे कहानी ।।
मन कबहूँ सोचलस ना, अइसनो दिन आई।
धीरे धीरे सबे छुटत गइल, छुटल बाप माई।।
पुरनिया लोग कहत रहे, बुढ़ौती दुखदायी ह।
ओइसने भोगे के परेला, जइसन जेकर कमाई ह।।
जय प्रकाश कुवंर
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