जब हम दूसरों में खुद को देखते हैं
पंकज शर्मा
यह उद्धरण गहराई से हमारे अंदर छिपे मानवीय संबंधों के सूक्ष्म तारों को उजागर करता है। जब हम दूसरों में स्वयं को देखते हैं, तब हमारी सहानुभूति जागृत होती है। हम दूसरों के सुख-दुख को अपने ही सुख-दुख के समान महसूस करने लगते हैं। इसी क्षण, किसी और को आहत करने या दोष देने की भावना अपने आप ही लुप्त हो जाती है।
कल्पना कीजिए, जब हम किसी व्यक्ति को क्रोधित देखते हैं, तो हम उसके भीतर छिपे दर्द और निराशा को समझ पाते हैं। उस क्षण, हम उस व्यक्ति को दोष देने के बजाय, उसके साथ सहानुभूति महसूस करते हैं। इसी तरह, जब हम किसी की सफलता देखते हैं, तो हम उसके प्रयासों और संघर्षों को समझ पाते हैं। उस क्षण, हम ईर्ष्या की भावनाओं को त्याग कर, उसके लिए खुश होते हैं।
दूसरों में स्वयं को देखना, हमें एक दूसरे से जोड़ने का एक अद्भुत माध्यम है। यह हमें सिखाता है कि हम सभी एक ही मानवीय परिवार के सदस्य हैं। हम सभी एक ही तरह के सुख-दुख, आशाएं और भय अनुभव करते हैं। जब हम इस सत्य को समझ जाते हैं, तो हम एक दूसरे के प्रति अधिक करुणा और सहानुभूति महसूस करते हैं।
यह उद्धरण हमें यह भी याद दिलाता है कि हम सभी एक दूसरे से सीख सकते हैं। जब हम दूसरों में स्वयं को देखते हैं, तो हम उनके गुणों और कमजोरियों से सीख सकते हैं। हम अपने स्वयं के जीवन को बेहतर बनाने के लिए उनके अनुभवों से प्रेरणा ले सकते हैं।
मित्रों आइए, हम सभी दूसरों में स्वयं को देखने का प्रयास करें और एक अधिक करुणामय और सहयोगी समाज का निर्माण करें।
. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)
पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com