इस जिंदगी के दिन,
तुम्हारे सहारे चल रहे हैं।बातें कम हो रहीं हैं,
पर हरदम इशारे चल रहे हैं।।
ज्यादा बोलता हूँ तो,
तुम पागल कह रही हो।
जब कम बोलता हूँ तो,
तुम मतलबी समझ रही हो।।
इस ज्यादा कम के झंझट ने ,
मुझे मौन बना दिया है।
मुंह ने अपना प्रभार अब,
आंखों को दे दिया है।।
अब आंखें ही बोलती हैं,
मन के भाव खोलतीं हैं।
अब इसको भी न समझो,
तो हम समझेंगे कि,
बुरे दिन हमारे चल रहे हैं।
इस जिन्दगी के दिन,
तुम्हारे सहारे चल रहे हैं।।
जय प्रकाश कुवंर
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