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राष्ट्रभाषा हिन्दी

राष्ट्रभाषा हिन्दी


राष्ट्र प्रेम की बात चले तो
हिंदी कोयल कूक सुनाती है
अजर अमर और अविरल धारा
हिंदी प्रेम गीत सुनाती है


संस्कृत से जन्मीं जो भाषा
क्यों न हो मधुर विश्व मोहिनी
राधा कृष्ण की अमर कहानी
जो स्नेह दिखाते चंद्र रोहिणी


हजार वर्ष में विश्वभाषा बन गई हिंदी
'बोली' थी जो शुरू शुरू
वह भारत माँ की बन गई बिंदी
कश्मीर से हिंद सागर तक सबको नित्य लुभाती है.
अजर अमर और अविरल धारा
हिंदी प्रेम गीत सुनाती है


जीवन मरण का दैन्य विसरता
रामायण- गीता हिंदी सुनाती है.
साधु संत कबीर तुलसी को
हिंदी मीरा ,सूर सुनाती है


जायसी, रहीम, केशवदास, घनानंद भूषण, जगनिक- आल्हा सुनाती है
राम, कृष्ण, महावीर, बुद्ध,
नानक, रैदास, की वाणी सुनाती है
अजर अमर और अविरल धारा हिंदी प्रेम गीत सुनाती है


हे भारत माँ के दिव्य संतान!
हिंदी की विंदी पहचान
तेरे भाल का गौरव- गान
अपने भाल से बढ़ाती है.
विश्व गुरु के उच्च शिखर पर
हिंदी ही स्थान दिलाएगी
है नहीं दिन दूर जब
सारे विश्व को नतमस्तक कराएगी.
अंग्रेजी को तार तार कर
अच्छा नाच नहाएगा
भारत की जनता जब एक स्वर में
हिंदी हिंदी गाएगी.
विश्व प्रेम, राष्ट्र भक्ति वाहिनी
हिंदी विश्व प्रभाती है.
अजर अमर और अविरल धारा
हिंदी प्रेम गीत सुनाती है.
भारतेंदु, प्रसाद, पंत, निराला
महादेवी, दिनकर की ज्वाला
मैथिलीशरण, रामनरेश त्रिपाठी
पद्माकर, सुब्रह्मण्यम भारती
सुभद्रा, ललद्यद मीरा गीत सुनाती है
अजर अमर और अविरल धारा हिंदी प्रेम गीत सुनाती है

(अवध किशोर मिश्र लखनीखाप औरंगाबाद बिहार)
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