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बने हिन्दी अब देश की राष्ट्रभाषा

बने हिन्दी अब देश की राष्ट्रभाषा

 अरविन्द अकेला
बने हिन्दी अब देश की राष्ट्रभाषा
पूर्ण हो जन,गण,मन की आशा
एक हो सब देश के साहित्यकारों
जोर लगा दो तुम भी जरा सा।
बने हिन्दी अब देश की...l

बहुत दिखा दी कलम की ताकत
बहुत किया सरकार का स्वागत
छोड़ो अब करजोर और विनती
छोड़ो अब सब मन की हताशा।
बने हिन्दी अब देश की...l

अब बहुत हो गया चुप्पा चुप्पी
दिखा दो अपना खेल तमाशा
चलो चलें सब जंतर-मंतर
लेकर के कुछ सत्तू बताशा।
बने हिन्दी अब देश की...l

बजा दो दुदुम्भी सरकार के कानों में
छोड़कर सब अपनी निराशा
एक हो जाओ देश के कलमकारों
दिखा दो अपना बजूद जरा सा।
बने हिन्दी अब देश की...l
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 अरविन्द अकेला,
पूर्वी रामकृष्ण नगर,
पटना-27
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