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'दिनकर' जी की जयंती पर सम्मेलन में आयोजित हुआ कवि-सम्मेलन

'दिनकर' जी की जयंती पर सम्मेलन में आयोजित हुआ कवि-सम्मेलन|

  • समर शेष है, नही पाप का भागी केवल व्याध, जो तटस्थ हैं समय लिखेगा----- परिस्थितियाँ वही, 'दिनकर', आज और भी प्रासंगिक|

पटना, २३ सितम्बर। 'ढीली करो धनुष की डोरी/ तरकश का कस खोलो/ किसने कहा, युद्ध की वेला चली गई, शांति से बोलो? किसने कहा,और मत वेधो हृदय वह्नि के शर से/ भरो भुवन का अंग कुंकुम से, कुसुम से, केसर से? कुंकुम लेपूँ किसे, सुनाऊँ किसको कोमल गान? तड़प रहा आँखों के आगे भूखा हिंदुस्तान/ समर शेष है, नही पाप का भागी केवल व्याध/ जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनके भी अपराध!"
बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में राष्ट्र्कवि रामधारी सिंह 'दिनकर' की जयंती पर, आयोजित समारोह और कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कवि की इन्हीं पंक्तियों से अपना अध्यक्षीय संबोधन आरंभ किया। उन्होंने कहा कि परिस्थितियाँ आज भी वही है, जब दिनकर जी ने 'समर शेष है' नामक अपनी यह बहु-चर्चित और लोकप्रिय कविता लिखी थी। भारत का पीड़ित और भोला समुदाय आज भी आश्वासनों और आशाओं पर जीवित है। स्वतंत्रता के ७५ सालों में, समाज बदल गया। भारतीय समाज में घृणा फैलाई गई, भ्रष्टाचार और चरित्र-हीनता को बढ़ावा मिला, धन की भूख पैदा की गई, पर वंचित और भोले लोगों के लिए आज भी 'पूर्ण-स्वराज' स्वप्न बना हुआ है। ऐसे में 'दिनकर' आज और भी प्रासंगिक लगते हैं। 'दिनकर' ओज के, किंतु मानवतावादी राष्ट्र-कवि थे। उनमे प्रेम भी है और पौरुष भी। वे सही अर्थों में अपने समय के 'सूर्य' थे। वे राज्यसभा के सदस्य भी रहे और उन्हें भारत सरकार ने 'पद्म-भूषण' अलंकरण से भी सम्मानित किया था।
इस अवसर पर सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, डा रत्नेश्वर सिंह, कवयित्री डा भावना शेखर तथा डा ओम् प्रकाश जमुआर ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर आयोजित कवि-गोष्ठी का आरंभ चंदा मिश्र ने वाणी-वंदना से किया। वरिष्ठ कवि प्रो सुनील कुमार उपाध्याय, डा पुष्पा जमुआर, डा प्रतिभा रानी, डा ओम् प्रकाश जमुआर, डा ओम् प्रकाश पाण्डेय, शुभचंद्र सिन्हा, जय प्रकाश पुजारी, शंकर शरण मधुकर, कमल किशोर वर्मा 'कमल', सुनीता रंजन, डा लता मानकर, पंकज प्रियम, शमा कौसर “शमा”, अरुण कुमार सिंह, सूर्य प्रकाश उपाध्याय, सूर्यदेव सिंह, अजीत कुमार भारती आदि कवियों ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया।
मंच का संचालन ई आनन्द किशोर मिश्र ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।इस अवसर पर, वरिष्ठ रंगकर्मी अभय सिन्हा, प्रवीर कुमार पंकज, प्रियंका सिंह, रवि रंजन, राम प्रसाद ठाकुर, नरेंद्र कुमार झा, दुःखदमन सिंह, विनय चंद्र,भास्कर त्रिपाठी समेत बड़ी संख्या में सुधीजन उपस्थित थे।
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