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दुर्लभ तांत्रिक वस्तुओं से अभीष्ट की प्राप्ति

दुर्लभ तांत्रिक वस्तुओं से अभीष्ट की प्राप्ति

सुरेन्द्र कुमार रंजन
आध्यात्म के क्षेत्र में तंत्र साधना का एक विशेष महत्व है। तांत्रिक साधना एक संयमित और कठिन साधना होती है जो सामान्य व्यक्ति के पहुँच से बाहर की चीज होती है। लोगों की आम धारणा है कि तांत्रिक क्रियाएँ सिर्फ अनिष्टकारक कार्यों के लिए ही की जाती है लेकिन हकीकत कुछ और है। जिस प्रकार हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, वैसे ही तांत्रिक क्रियाओं के भी दो पहलू हैं। यदि तांत्रिक क्रियाओं का प्रयोग सकारात्मक कार्यों के लिए किया जाता है तो वह लाभकारी और हितकारी होता है और जब इसका प्रयोग नकारात्मक दृष्टिकोण से किया जाता है तो वह अनिष्टकारी और विध्वंसक होता है। यही कारण है कि " तांत्रिक" शब्द के साथ अंधविश्वास और भय जैसे शब्द जुड़े हुए हैं। यहां कुछ तांत्रिक वस्तुओं के बारे में जानकारी दी जा रही है जिसके प्रयोग से कोई भी व्यक्ति लाभान्वित हो सकता है।

दक्षिणावर्ती शंख - दक्षिणावर्ती शंख को लक्ष्मी का सहोदर कहा गया है। इसे पूजा-स्थल पर रखकर यदि विधि-विधान से इसकी पूजा की जाय तो न सिर्फ सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है बल्कि आर्थिक तंगी भी दूर होता है। दीपावली के पावन अवसर पर शंख की प्राण प्रतिष्ठा करके नियमित रूप से पूजा की जाय तो व्यापार में वृद्धि, धन-सम्पदा में वृद्धि और हर बाधा से मुक्ति मिलती है।

हत्था जोड़ी - यह एक जंगली पौधा होता है जिसका आकार हाथ के पंजे जैसा होता है। इसे घर में रखने से आर्थिक उन्नति के साथ-साथ विभिन्न बाधाओं से मुक्ति मिलती है। यदि अधिक मेहनत करने के बाद भी धनसंचय नहीं हो पाता है तो लाल रेशमी वस्त्र में भखड़ा सिन्दूर (पीला सिन्दूर) के साथ हत्था जोड़ी को लपेट कर तिजोरी में रख दें। इसे प्रतिदिन धूपबत्ती दिखाएँ। इससे धन संचय होने लगेगा और आपकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो जाएगी।


पारद शिवलिंग - पारद शिवलिंग (पारा का शिवलिंग) के दर्शन मात्र से हजारों गायों, हजारों स्वर्ण मुद्राओं के दान तथा चारों धाम तीर्थ यात्रा करने से बढ़‌कर पुण्य मिलता है। शिव पुराण में पारा को भगवान शिव का ओज कहा गया है। जो मनुष्य पारद शिवलिंग का नित्य पूजन करता है, उनके घर में कभी दरिद्रता नहीं आती तथा जीवन में मृत्यु का भय कभी नहीं रहता है। वह जीवन में यश, सम्मान, पद, प्रतिष्ठा, पुत्र, विद्या आदि में पूर्णता प्राप्त करते हुए अंत में शिवलोक को प्राप्त करता है।

दक्षिणावर्त गणपति - यह एक ईश्वरीय कृपा है कि गणेश जी की जितनी मूर्तियां बनती है उनका सूंड उत्तर की तरफ मुड़ी हुई या सीधी होती है। काफी प्रयास के बाद भी मि‌ट्टी या धातु की गणेश जी की प्रतिमा में दक्षिण की तरफ मुड़ी सूंड टिक नहीं पाती है क्योंकि बनाने के प्रयास करने पर टूट जाती है। सौभाग्य से यदि ऐसी कोई मूर्त्ति या प्रतिमा मिल जाए जिसकी सूंड दक्षिण की ओर स्पष्ट रूप से मुड़ी हो तो उसको घर लाकर विधिवत प्राण-प्रतिष्ठा करके नित्य उपासना करते रहने से सभी मनोकामनाओं की पूर्त्ति होती है।

श्वेतार्क गणपति- सफेद आक (अकवन) का पौधा एक दुर्लभ वस्तु है। इसकी पत्तियाँ एवं फूल सफेद होते हैं। श्वेत अर्क की जड़ को सावधानी से उखाड़ा जाए तो जड़ पर गणेशजी की उभरी हुई आकृति दिखाई देती है। इस आकृति को ही श्वेतार्क गणपति की संज्ञा दी गई है। पुष्य नक्षत्र में रविवार को अर्क को उखाड़ना शुभ माना जाता है। जिस घर में श्वेतार्क गणपति की स्थापना एवं पूजा होती है उस घर में विद्या, धर्म, समृद्धि, ऋद्धि - सिद्धि आदि की कोई कमी नहीं रहती है।

श्वेत अपामार्ग (चिड़चिड़ी)- सफेद चिड़चिड़ी के पौधे को रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र के योग में जड़ सहित उखाड़ कर अपने निवास के ईशान कोण में प्राण-प्रतिष्ठा कर स्थापित करने से घर आपदा मुक्त और धन -धान्य से परिपूर्ण होता है।

उल्लू का नाखून - अपनी मृत्यु से मेरे उल्लू के नाखून को लाल वस्त में लपेटकर धूप दीप, दिखाकर आलमारी में रखने से लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और शत्रु भी परास्त होते हैं।

ऊँटनी के बाल - ऊंटनी के योनिपटल के पास कुछ काले बाल पाये जाते हैं। इस बाल को पुष्य नक्षल युक्त गुरुवार को लाकर चाँदी के ताबीज में रखकर काले धागे से (रेशम के धागे) बाँधकर कमर में बाँध देने से स्त्री-पुरुष की कामशक्ति में वृद्धि होती है। कामशीतलता, स्वप्नदोष शीघ्रपतन आदि की बीमारी जड़ से समाप्त हो जाती है। अविकसित स्तन, अविकसित योनि-लिंग वाले युवक-युवतियों के लिए तो रामवाण है।

गोमती चक्र-गोमती नदी में पाए जाने वाले ये कैल्शियम एवं पत्थर मिश्रित चक्र जो एक ओर सादा उठी हुई सतहों तथा दूसरी ओर चक्र युक्त होते हैं। इन चक्रों को प्रथम शुक्रवार के दिन अथवा दीपावली के अवसर पर लाल वस्त्र के ऊपर सात की संख्या में रखकर बांध देने से घर में लक्ष्मी का स्थायी निवास होता है।
इन चक्रों को अभिमंत्रित करके ताँबे के पात्र में पानी के साथ ढँककर रात्रि में रख दें। प्रातःकाल खाली पेट उस जल को पीने से कुछ ही दिनों में उदर विकार व अन्य रोग दूर हो जाते हैं। धनवृद्धि के लिए इन चक्रों पर केशर अथवा सिन्दूर का टीका लगाकर लक्ष्मी मंत्र "ऊं श्रीं श्रीययै नमः" का जाप कमलगट्‌टा की माला से करके चक्रों को तिजोरी में रख दें।

मोती शंख - यह माँ लक्ष्मी का विग्रह है। आर्थिक स्थिरता के लिए प्रथम शुक्रवार को मोती शंख के साथ एक चांदी का सिक्का रखकर उसमें साबूत अरवा चावल भर दें। लाल कपड़े पर मोती शंख रखकर रोली (रोड़ी) व केशर से तिलक करें। कमलगट्‌टे की माला से "श्री लक्ष्मी देंहि में" का यथा शक्ति पाँच लगातार शुक्रवार को जप करें। अंतिम दिन किसी कुंवारी कन्या को भोजन कराकर दक्षिणा देकर विदा करें। मोती शंख को उसी लाल कपड़े में बाँधकर धन रखने के स्थान पर रख दें।
दीपावली की रात में मोती शेख में चांदी का सिक्का, अभिमंत्रित धनकारक कौड़ी तथा गोमती चक्र भरकर पूजन करें। दूसरे दिन मोती शंख को लाल रेशमी वस्त्र में बाँधकर तिजोरी में रख दें। जब तक यह शंख आपके पास होगा तब तक आप पर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी। यदि स्वास्थ्य निरंतर खराब रहता हो तो सोमवार के दिन मिश्रित जल की धार अर्पित करें। निश्चित रूप से स्वास्थ्य उत्तम होगा।

धनदायक कौड़ियां -- कौड़ी को भी महालक्ष्मी का विग्रह माना जाता है । इन्हें अभिमंत्रित करके कई कार्य सिद्ध किए जा सकते हैं। किसी शुभ अवसर पर हल्दी से रंगी ग्यारह कौड़ियों को पीले वस्त्र में बाँधकर रखने से आर्थिक स्थिरता बनी रहती है। धनतेरस की रात चाँदी की डिब्बी में पाँच कौड़ियां,कचनार के पत्ते व शहद को एक साथ रख देने से महालक्ष्मी एवं कुबेर की कृपा बनी रहती है।

यदि व्यवसाय में किसी ने तांत्रिक क्रिया करवा रखी है तो होलिका दहन की रात को होलिका दहन के स्थान पर ग्यारह अभिमंत्रित कौड़ि‌याँ दबा दें। अगले दिन कौड़ियों को निकालकर व्यवसाय स्थल की मिट्टी के साथ नीले वस्त्र में बाँध कर बहते हुए जल में प्रवाहित कर देने से तांत्रिक प्रभाव समाप्त हो जाता है।
यदि आप कोई साक्षात्कार देने जा रहे हैं तो पाँच अभिमंत्रित कौड़ियों पर हल्दी का तिलक लगाकर अपने ऊपर से नौ बार निहुँच कर किसी गरीब को ग्यारह रूपये दक्षिणा के साथ दे दें। निश्चित रूप से आपको सफलता मिलेगी।
यदि कोई किसी कार्य में आपका विरोध कर रहा हो या कर सकता हो तो कार्य करने से पहले ग्यारह अभिमंत्रित कौडियों को लेकर काले कपड़े में बाँधकर उस व्यक्ति का नाम लेते हुए पीपल के पेड़ के नीचे गड्‌ढा खोदकर उस पोटली को दबा दें। वह व्यक्ति आपके उस कार्य में बाधा उत्पन्न नहीं करेगा।

रांगे की अंगूठी - रोजगार में अस्थिरता, बार-बार काम बदलना, बिना बात शंकालु होना, धोखाधड़ी का शिकार होना, अचानक घाटा होना इत्यादि बातों से परेशान होने पर रांगे की अंगूठी धारण करना लाभप्रद होता है। इस अंगूठी को रविवार के दिन बकरे के मूत्र में धोकर " ॐ रां राहवे नमः" का 108 बार जाप करके मध्यमा अंगुली में धारण कर लें।

काले घोड़े की नाल - शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या एवं शनिकृत अनिष्ट की शांति, व्यापारिक बंधन ,नजर बाधा, ऊपरी हवा, अभिचार कर्म की निवृति हेतु काले घोड़े की नाल को प्रयोग अति उत्तम माना जाता है। काले घोड़े के बाँये तरफ के पिछले पैर की नाल इन समस्याओं से छुटकारा दिलाने हेतु विशेष प्रभावी है। शनिवार को यह नाल प्राप्त करके तिल के तेल में भिंगो दें तथा सात दिन बाद अगले शनिवार को इसे तेल से निकाल कर घर एवं दुकान में इस प्रकार ठोक दें जिससे आने वाले की नजर उस नाल पर पड़े। इससे शनिकृत सभी दोष नष्ट हो जाते हैं।

काला चावल - तंत्र साधना में काले चावल का विशेष महत्त्व है। चावलों के अंदर ही काले चावल मिल जाते हैं। विधि-विधान से धूप-दीप दिखाकर पूजा करके इसे लाल वस्त्र में लपेट कर तिजोरी में रखने से आर्थिक स्थिरता रहती है। शनिवार को काले वस्त्र में काले चावल के कुछ दाने को लपेटकर उससे जादू-टोने से पीड़ित व्यक्ति को सात बार निहुँच कर उसे बहते हुए जल में प्रवाहित करने से जादू-टोने का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
यदि किसी विशेष कार्य को सिद्ध करना हो तो प्रथम सोमवार को काले चावलों को सफेद रेशमी वस्त्र में बाँधकर महाकाली को अर्पित करने से वह कार्य अवश्य सिद्ध हो जाता है।शुक्रवार को लाल रेशमी वस्त्र में काले चावल एवं काली हल्दी को साथ बाँधकर तिजोरी में रखने से महालक्ष्मी स्थायी रूप से निवास करने लगती है।

दीपावली की रात में पीले वस्त्र में काले चावल, एक चुटकी सिन्दूर तथा एक चाँदी का सिक्का रखकर पूजा करें। दूसरे दिन रखने के स्थान पर इसे रख दें। इस विधि से सालों भर माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। काले चावल को चाँदी की डिबिया में रखकर भंडार में रखने से भंडार कभी खाली नहीं होता।

माह के प्रथम शनिवार को काले कपड़े के चार अलग-अलग टुकड़े में काले चावल के इक्कीस-इक्कीस दानों को बाँधकर निवास के चारों कोने में दबा देने से उस घर पर किसी भी तांत्रिक क्रिया का कोई कुप्रभाव नहीं होता है। कुछ काले चावल के दानों को हल्दी के साथ पीले वस्त्र में मुख्य द्वार पर अंदर की ओर टांगने से घर क्लेश मुक्त रहता है।

काली हल्दी--काली हल्दी एक दुर्लभ वस्तु हैऔर तंत्र साधना में यह काफी उपयोगी है। दीपावली के दिन पीले वस्त में चाँदी के सिक्का के साथ काली हल्दी को बाँध कर तिजोरी में रख देने से माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
धन के ठहराव के लिए माह के प्रथम शुक्रवार को चाँदी की डिब्बी में काली हल्दी, नागकेशर तथा सिन्दूर को एक साथ रख कर माँ लक्ष्मी के चरणों से स्पर्श करा कर तिजोरी में रख दें। इससे धन का ठहराव होने लगता है। यदि आपका व्यवसाय कम चल रहा है तो प्रथम गुरुवार को पीले वस्त्र में काली हल्दी व चाँदी का सिक्का बाँधकर 108 बार "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" कहकर तिजोरी में रख देने से व्यापार में गति आ जाती है। अगर व्यवसाय मशीन संबंधी हो और मशीन जल्दी-जल्दी खराब होती है, तो काली हल्दी को पीसकर केशर व गंगाजल मिलाकर प्रथम बुधवार को उस मशीन पर स्वास्तिक बना दें। मशीन जल्दी-जल्दी खराब नहीं होगी। पाठकों से अनुरोध है कि उपरोक्त बातों को स्वहित एवं परहित के लिए ही प्रयोग करें | विध्वंसक कार्यों या दूसरे को नुकसान पहुँचाने के लिए इसका प्रयोग न करें।

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