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विधवा का जीवन

विधवा का जीवन

विधवा का जीवन दर्द भरा होता है,
दुःखों के सैलाब से जीवन भरा होता है।
होठों की मुस्कान गायब नजर आता है ,
सदा चेहरे पर मातम-सा छाया रहता है।
अपने लोग भी किनारा कर लेते हैं,
ताना मार-मार कर पागल बना देते हैं।
घुट-घुट कर जीना नसीब बन जाता है,
पूरी जिंदगी ही गमगीन बन जाता है।
पर आज इनका जीवन खुशहाल बन गया है ,
विधवा पुनर्विवाह से इनका जीवन सुधर गया है।
समाज के लोगों का नजरिया बदल गया है,
विधवा विवाह का प्रचलन-सा चल गया है।
सामाजिक कुरीतियों का अंत हो रहा है,
एक नये समाज का नवनिर्माण हो रहा है।

सुरेन्द्र कुमार रंजन
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