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विधवा बनी सुहागन

विधवा बनी सुहागन

विधवा का जीवन सुरक्षित नहीं,
अस्मिता बचाना भी मुमकिन नहीं।
गिद्धों की नजरों से बचना जरा,
कुकर्मी से बचके तू रहना जरा।
जीवन में संघर्ष तू करना जरा,
निडर होकर आगे तू बढ़ना जरा।
पर जीवन का यह भी कटु सत्य है,
कि पुरुष के बिना तू असुरक्षित भी है।
घर बसाने में ही है समझदारी तेरी,
समझौता में ही है समझदारी तेरी।
तू बना जा किसी की जीवन संगिनी,
त्याग विधवा का जीवन बन जा सजनी ।
समाज के लिए तू उदाहरण बनो,
भूत को छोड़‌कर तू वर्तमान बनो।
दूषित समाज के लिए एक मिसाल बनो,
अपना जीवन बनाकर खुशहाल बनो।
सुरेन्द्र कुमार रंजन
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