जीवन का कुम्हार
"हमारा जीवन कुम्हार की चाक पर रखी मिट्टी की तरह है, इसे हमारे अपने हाथों द्वारा आकार दिया जाता है।" यह उद्धरण कितना सटीक है! जीवन एक ऐसा कैनवास है, जिसे हम अपनी इच्छा और कर्मों के रंगों से भरते हैं। हम ही अपने जीवन के कारीगर हैं।
कुम्हार की तरह, हम भी अपनी जिंदगी की मिट्टी को ढालते हैं, उसे गढ़ते हैं। हर अनुभव, हर चुनौती, हर सफलता एक नया आकार देती है हमारे जीवन को। हमारी सोच, हमारे निर्णय, हमारे रवैये - ये सभी मिलकर हमारे जीवन की मूर्ति को तराशते हैं।
जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। कभी हम मिट्टी को गूंदते हैं, तो कभी उसे चाक पर घुमाते हैं। कभी हम उसे आकार देते हैं, तो कभी उसे रंगते हैं। यह सब हमारी मर्जी पर है। हम अपनी मिट्टी को किस आकार में ढालते हैं, यह हम पर निर्भर करता है।
1)सकारात्मक सोच: सकारात्मक सोच एक ऐसा चाक है, जो हमारे जीवन को सही दिशा में घुमाता है।
2) कड़ी मेहनत: कड़ी मेहनत वह चम्मच है, जो मिट्टी को गूंदकर उसे मजबूत बनाती है।
3) धैर्य: धैर्य वह रंग है, जो हमारे जीवन को सुंदर बनाता है।
4) लचीलापन: लचीलापन वह आकार है, जो हमें बदलते परिस्थितियों में ढालने में मदद करता है।
हमारे हाथों में असीम शक्ति है। हम अपनी जिंदगी को अपने हिसाब से बना सकते हैं। हमें बस अपनी क्षमताओं पर विश्वास करना होगा और लगातार प्रयास करते रहना होगा। याद रखें, हमारी जिंदगी का सबसे बड़ा कलाकार हम खुद हैं।
आइए, हम सभी मिलकर अपनी जिंदगी की इस मूर्ति को एक अद्भुत कृति बनाएं!
. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार) पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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