अहंकार

अहंकार

आजकल के विधवाओं के ढंग हैं अनोखे ,
विलासितापूर्ण जीवन जीने के ढंग हैं अनोखे।
उनके स्वभाव में एक बदलाव - सा आ गया है ,
उनके व्यवहार में एक ठहराव - सा आ गया है।
स्वभाव में चिडचिड़ापन ने डेरा जमा लिया है,
मधुरता की जगह कठोरता ने ले लिया है।
वैधव्य से पहले मधुरता उसके कण-कण में थी,
पर आज तो कड़‌वाहट उसके तन-मन में है।
अहंकार उसके मन में कूट-कूट कर है भरा,
इतनी बड़ी घटना के बाद भी उसका जी ना भरा।
अहंकार को छोड़‌कर करूणा को अपना लो,
नर्क - सी अपनी जिंदगी तू स्वर्ग- सा बना लो ।

सुरेन्द्र कुमार रंजन
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