मां पार्वती धन्य हुई, महादेव सा वर पाकर

मां पार्वती धन्य हुई, महादेव सा वर पाकर

हिमराज पुत्री संकल्प पथ,
पुनीत अनुपम निराला ।
चाहत छवि अंतर वसित ,
शिव शंकर त्रिनेत्र वाला ।
त्रिपुरारी वरण कामना हित,
अखंड जप तप वन जाकर ।
मां पार्वती धन्य हुई ,महादेव सा वर पाकर ।।


शिव शिव जाप स्वर संग,
ब्रह्मांड अथाह गूंजित ।
उरस्थ शुभ मंगल धार,
शब्द अर्थ शिव सिंचित ।
सप्तऋषि वृंद अति पुलकित,
मां गौरा परीक्षा उत्तीर्ण कराकर ।
मां पार्वती धन्य हुई ,महादेव सा वर पाकर ।।


स्नेहिल मार्गदर्शन कैलाशी,
पर मां अडिग प्रतिज्ञा बिंदु ।
परस्पर तुलना आकलन ,
विनय पुनर्विचार प्रज्ञा सिंधु ।
पर उत्तम उत्तर पा हर ,
मुस्कराए भोला सा मुंह बनाकर ।
मां पार्वती धन्य हुई, महादेव सा वर पाकर ।।


विविधायामी भव्य श्रृंगार सह,
अद्भुत अनूप बारात प्रबंधन ।
समदृष्टि रख जीव जगत,
अलौकिक आनंद स्पंदन ।
गगन भाव पुष्प वृष्टित ,
देवता गण संग खुशियां मनाकर ।
मां पार्वती धन्य हुई, महादेव सा वर पाकर ।।


कुमार महेन्द्र(स्वरचित मौलिक रचना)
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