दोस्त के बिन जीवन अधूरा

दोस्त के बिन जीवन अधूरा

दोस्त के बिन जीवन अधूरा ,
अपना जीवन लगता बुरा ।
दोस्त बिन निरर्थक जीवन ,
अपना ही जीवन लगे कूड़ा ।।
दोस्त तो दोस्त ही होता है ,
सुख दुःख साथ निभाता है ।
भटक गए जो निज पथ से ,
शीघ्र ही‌ मार्ग वह दिखाता है ।।
एक दूजे हेतु प्राण न्यौछावर ,
तन मन से तत्पर वे रहते हैं ।
सुख में दोनों साथ ही रहते
दुःख भी संग ही वे सहते हैं ।।
चन्द्र प्रकाश की जोड़ी देखो ,
चन्द्र नहीं तो ये प्रकाश कहाॅं ।
आस और विश्वास को देखो ,
एकदूजे बिन बूझे प्यास कहाॅं ।।
आस जहाॅं होता है विराजित ,
वहीं होता यह विश्वास खड़ा ।
एकदूजे बिन दोनों ही अधूरे ,
दोनों एक दूजे को माने बड़ा ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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