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विवश है विधवा

विवश है विधवा

नारकीय जीवन जीने को विवश है विधवा,
व्यंग्य वाणों को झेलने को विवश है विधवा ।
लोगों के तिरस्कार सहने को विवश है विधवा,
परायेपन का दंश झेलने को विवश है विधवा ।
बहशीपन का शिकार होने को विवश है विधवा,
निर्दयी समाज में लाज बचाने को विवश है विधवा । 
रोजगार के लिए दर-दर भटकने को विवश है विधवा, 
जिल्लत भरी जिंदगी से मुक्ति को विवश है विधवा ।
किन कर्मों की सजा भुगतने को विवश है विधवा,
पूर्व जन्म के पापों का फल भोगने को विवश है विधवा।

सुरेन्द्र कुमार रंजन
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